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धान खरीदने के लिए पैसे ही नहीं

संजय सरकार के 324 करोड़ रुपये फंसे रांची : खाद्य आपूर्ति विभाग ने सभी उपायुक्तों को राइस मिलों से वसूली का आदेश दिया है. उनसे कहा गया है कि उन चावल मिल मालिकों पर प्राथमिकी दर्ज करायें, जिन्होंने बकाया रकम की पहली किस्त भी जमा नहीं की है. वहीं संबंधित मिलों का भौतिक सत्यापन कर […]

संजय
सरकार के 324 करोड़ रुपये फंसे
रांची : खाद्य आपूर्ति विभाग ने सभी उपायुक्तों को राइस मिलों से वसूली का आदेश दिया है. उनसे कहा गया है कि उन चावल मिल मालिकों पर प्राथमिकी दर्ज करायें, जिन्होंने बकाया रकम की पहली किस्त भी जमा नहीं की है. वहीं संबंधित मिलों का भौतिक सत्यापन कर मिलों को सील करने तथा वहां उपलब्ध धान-चावल की नीलामी कर पैसा वसूलने का भी आदेश दिया गया है.
खाद्य आपूर्ति सचिव डॉ प्रदीप कुमार ने तीन दिसंबर को लिखी चिट्ठी में कहा है कि वसूली नहीं होने से खरीफ मौसम 2014-15 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की संभावना क्षीण लग रही है. इसलिए इस मामले में कठोर कार्रवाई की जरूरत है. गौरतलब है कि सरकार का चावल खरीद मद का करीब 324 करोड़ रु फंस गया है. यह रकम खरीफ मौसम 2012-13 की है. इधर 2013-14 में सिर्फ हजारीबाग व रामगढ़ के किसानों से ही धान खरीद हो सकी थी. अब खरीफ 2014-15 में धान खरीद होनी है, पर सरकार के पास पैसे नहीं हैं. कुल बकाया रकम 324 करोड़ में से 161 करोड़ रु चावल मिलों के पास व 37 करोड़ रु सहकारिता विभाग के कर्मचारियों के पास फंसा है, जो उन्हें चावल खरीद के लिए एडवांस के तौर पर दिया गया था.
सहकारिता विभाग ने फंसाये 163 करोड़, भुगतेंगे किसान
सहकारिता विभाग के अधीन लैंपस-पैक्स के माध्यम से किसानों से धान खरीद होती है. राइस मिलों में इस धान से चावल निकाल कर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को दिया जाता है. डॉ प्रदीप ने सहकारिता सचिव को भी पत्र के माध्यम से बताया है कि एफसीआइ से कुल 243 करोड़ रु मिलने हैं. पर जिला सहकारिता पदाधिकारियों ने अभी तक 117 करोड़ रु का ही बिल एफसीआइ को दिया है. यानी 126 करोड़ रु का बिल अब तक जमा नहीं है. सहकारिता सचिव से अनुरोध किया गया है कि वह जिला सहकारिता पदाधिकारियों को सप्ताह भर के अंदर बिल जमा कर पैसे लेने का आदेश दें.
क्या है हाइकोर्ट का आदेश
बकाया मामले में मिल मालिकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने आदेश दिया था कि मिल मालिक 15 अक्तूबर 2014 तक उन पर कुल बकाया रकम का 25 फीसदी चुकायें. इसके बाद 15 नवंबर तक 50 फीसदी राशि तथा 31 दिसंबर तक सौ फीसदी बकाया राशि दे दें.
ऐसे थोड़े न कुछ कहा जा सकता है
खाद्य सचिव ने आग्रह किया है कि बकाया रकम की वापसी करायी जाये, तो अब हम लोग भी जिलों को कहेंगे. जिम्मेवारी तो उपायुक्तों की भी है. करोड़ों का नाम सुन कर आप लोगों के मन में भी घोटाले की ही बात आ जाती है. अब पैसा बकाया है, तो देखेंगे न कि कहां कितना बकाया है. ऐसे थोड़े न कुछ कहा जा सकता है.
अरुण कुमार सिंह, सचिव सहकारिता विभाग
अवमाननावाद दायर करने का निर्देश
राज्य खाद्य निगम के प्रबंध निदेशक को कहा गया है कि वह दो दिनों के अंदर उन चावल मिलों की सूची खाद्य आपूर्ति सचिव को उपलब्ध करायें, जिन्होंने बकाया रकम की पहली किस्त भी अब तक जमा नहीं की है. साथ ही कहा गया है कि वह डिफॉल्टर मिलों पर उच्च न्यायालय में अवमाननावाद भी दायर करें.

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