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कल्याण सचिव ने झास्कोलैंप से 20.34 लाख लौटाने को कहा

चार वर्ष में झास्कोलैंप ने सरकार के पैसे से कुछ काम नहीं कियालाह प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के लिए खर्च करनी थी राशिदीपक, रांचीझारखंड सरकार ने आदिवासियों के प्रशिक्षण के लिए दी गयी राशि को खर्च नहीं किये जाने पर झास्कोलैंप से पैसे वापस करने को कहा है. कल्याण विभाग के सचिव सुनील वर्णवाल ने […]

चार वर्ष में झास्कोलैंप ने सरकार के पैसे से कुछ काम नहीं कियालाह प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के लिए खर्च करनी थी राशिदीपक, रांचीझारखंड सरकार ने आदिवासियों के प्रशिक्षण के लिए दी गयी राशि को खर्च नहीं किये जाने पर झास्कोलैंप से पैसे वापस करने को कहा है. कल्याण विभाग के सचिव सुनील वर्णवाल ने इस संबंध में झास्कोलैंप के प्रबंध निदेशक को पत्र लिख कर 20.34 लाख रुपये खजाने में जमा कराने को कहा है. यह राशि 2010-11 में झास्कोलैंप को दी गयी थी. जनजातीय कल्याण आयुक्त को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010-11 में शुरू की गयी योजना को 2014-15 तक समाप्त कर दिया जाना था. अब भी योजना के तहत दो करोड़ रुपये खर्च किया जाना बाकी है. पर योजना अब भी अधर में पड़ी हुई है. केंद्र प्रायोजित योजना के तहत लाह उत्पादन, प्रशिक्षण, आजीविका सुधार, लाह से बने उत्पादों के विपणन और अन्य कार्य के लिए आठ करोड़ से अधिक की राशि दी गयी थी. इसमें से 7.50 करोड़ रुपये केंद्र से मिले थे.11 हजार जनजातीय आबादी को दिया जाना था प्रशिक्षणसरकार की ओर से 11 हजार जनजातीय आबादी को लाह की खेती का प्रशिक्षण दिया जाना था. समेकित जनजातीय विकास योजना (आइटीडीए) के तहत रांची, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, खूंटी और अन्य जिलों के जनजातीय आबादी का चयन किया जाना था. सरकार की ओर से भारतीय राल और गोंद संस्थान, रांची और झास्कोलैंप का चयन किया गया था. सरकार का कहना है कि झास्कोलैंप की ओर से कोई कार्य नहीं किया गया. आइटीडीए जिलों से भी जो रिपोर्ट सरकार को भेजी गयी है. उसमें भी अब तक झास्कोलैंप को दिये गये पैसे का उपयोग नहीं होने की रिपोर्ट दी गयी है.

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