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स्नातक की छात्राओं को लाइब्रेरी में प्रवेश पर रोक, उपकुलपति ने कहा

प्रतिबंध हटा, तो अधिक संख्या में आने लगेंगे लड़केकेंद्र सरकार ने एएमयू से स्पष्टीकरण मांगा, की आलोचनाएजेंसियां, नयी दिल्ली/अलीगढ़अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति जमीरूद्दीन शाह के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया कि पुस्तकालय में स्नातक की छात्राओं को प्रवेश की अनुमति देने के बाद अधिक संख्या में लड़के आने लगेंगे. उनके इस […]

प्रतिबंध हटा, तो अधिक संख्या में आने लगेंगे लड़केकेंद्र सरकार ने एएमयू से स्पष्टीकरण मांगा, की आलोचनाएजेंसियां, नयी दिल्ली/अलीगढ़अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति जमीरूद्दीन शाह के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया कि पुस्तकालय में स्नातक की छात्राओं को प्रवेश की अनुमति देने के बाद अधिक संख्या में लड़के आने लगेंगे. उनके इस बयान के बाद केंद्र सरकार ने मंगलवार को विश्वविद्यालय से स्पष्टीकरण मांगा है. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह ‘बेटियों के अपमान’ की तरह है. शिक्षा एवं संवैधानिक अधिकार सभी के लिए बराबर है. स्नातक की छात्राओं पर प्रतिबंध को लेकर विवाद के घेरे में आये एएमयू ने जगह की कमी का हवाला दिया और ‘लैंगिक भेदभाव’ के आरोपों से इनकार किया. आलोचनाओं का सामना कर रहे उपकुलपति ने जवाब दिया कि परिसर के बाहर महिला कॉलेज में पढ़ रही छात्राओं को 1960 में मौलाना आजाद पुस्ताकलय की स्थापना के समय से ही प्रवेश प्रतिबंधित है और यह ‘नया प्रतिबंध नहीं’ है. कहा कि 4000 से ज्यादा स्नातक की छात्राएं हैं और जगह की कमी के कारण वे पुस्तकालय में नहीं बैठ सकतीं. शाह ने कहा कि मौलाना आजाद पुस्तकालय की स्थापना के समय से ही सभी परास्नातक लड़कियों एवं महिला शोधार्थियों को यहां आने की अनुमति है. किसने क्या कहा अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने उपकुलपति की टिप्पणी को ‘भयावह’ एवं ‘स्तब्धकारी’ करार दिया, जबकि मंत्रालय में नये राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां ‘सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं’ है. हेपतुल्ला ने कहा, ‘मैं इसे भयावह मानती हूं खासकर मौलाना आजाद की जयंती के अवसर पर. आजाद ने 62 वर्ष पहले लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया था. मैं वास्तव में आश्चर्यचकित हूं. आज के दिन किसी संस्थान का प्रमुख इस तरह की बात करे तो यह स्तब्ध करने वाला है.’ सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि मुद्दे के समाधान के बजाये ‘किसी को जाने से (पुस्तकालय में) रोकना ठीक नहीं है. व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि सभी विद्यार्थी पुस्तकालय जायें और अध्ययन कर सकें.’ कुलपति ने कहा कि ‘अवसंरचना मुद्दों के सुलझ जाने और लड़कियों के लिए सुरक्षित यातायात की व्यवस्था होने के बाद ही’ उनकी मांगें मानी जा सकती हैं.

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