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सिकनी कोलियरी के लिए 9500 पेड़ों की बलि

रांची: सिकनी कोलियरी की निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है. एल-1 बिडर घोषित किया जा चुका है. कोलियरी खुलने के पूर्व 9500 पेड़ काटे जायेंगे. उसके बाद ही इस कोलियरी से कोयले का उत्खनन किया जा सकेगा. सिकनी कोलियरी में 120 एकड़ क्षेत्र जंगल का हिस्सा है. जेएसएमडीसी ने पेड़ काटने का आग्रह वन विकास […]

रांची: सिकनी कोलियरी की निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है. एल-1 बिडर घोषित किया जा चुका है. कोलियरी खुलने के पूर्व 9500 पेड़ काटे जायेंगे. उसके बाद ही इस कोलियरी से कोयले का उत्खनन किया जा सकेगा. सिकनी कोलियरी में 120 एकड़ क्षेत्र जंगल का हिस्सा है. जेएसएमडीसी ने पेड़ काटने का आग्रह वन विकास निगम से किया था. निगम को पेड़ काटने के लिए क्लीयरेंस मिल चुका है. पिछले दिनों वन विकास निगम ने क्षेत्र की जांच कर पेड़ काटने पर सहमति दे दी है.

क्षतिपूर्ति वन रोपण के लिए जेएसएमडीसी ने चंदवा में दी जमीन सिकनी में पेड़ों की कटाई की क्षतिपूर्ति के रूप में वनरोपण के लिए जेएसएमडीसी प्रबंधन ने चंदवा में 123 एकड़ जमीन वन विभाग को सौंप दी है. तीन करोड़ की लागत से निगम प्रबंधन ने इस जमीन को रैयतों से खरीदा था. जमीन देने के बाद ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने जेएसएमडीसी की सिकनी परियोजना के स्टेज-2 को क्लीयरेंस दिया. जेएसएमडीसी द्वारा दी गयी क्षतिपूर्ति भूमि पर वन विभाग द्वारा वनरोपण किया जायेगा.

एनएच-33 के रांची -रामगढ़ सेक्शन में फोर लेन सड़क का निर्माण किया गया है. इस सड़क के निर्माण के दौरान भी हजारों पेड़ काटे गये. चुटुपाली घाटी में सबसे अधिक पेड़ काटे गये हैं. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सड़क निर्माण की वजह से रांची में 10 हजार और रामगढ़ सेक्शन में 6500 पेड़ काटे गये हैं.

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