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बैंकिंग तंत्र से बाहर जमा परिसंपत्तियां 75,000 अरब डॉलर

लंदन. देश दुनिया में बैंकिंग तंत्र की हर व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयासों के बीच बैंकिंग तंत्र से बाहर रखी जानेवाली राशि पिछले साल 5,000 अरब डॉलर बढ़ कर 75,000 अरब डॉलर तक पहुंच गयी. दुनिया में विकसित देशों की कतार में अग्रणी देश अमेरिका और यूरो क्षेत्र के देशों की ऐसी परिसंपत्तियों […]

लंदन. देश दुनिया में बैंकिंग तंत्र की हर व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयासों के बीच बैंकिंग तंत्र से बाहर रखी जानेवाली राशि पिछले साल 5,000 अरब डॉलर बढ़ कर 75,000 अरब डॉलर तक पहुंच गयी. दुनिया में विकसित देशों की कतार में अग्रणी देश अमेरिका और यूरो क्षेत्र के देशों की ऐसी परिसंपत्तियों का इसमें एक तिहाई योगदान रहा है. नियमित बैंकिंग तंत्र से बाहर किये जानेवाले वित्तीय लेन-देन गतिविधियों को ‘शैडो बैंकिंग’ का नाम दिया गया है. एफएसबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ‘दि मॉनिटरिंग यूनिवर्स ऑफ नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंटरमिडियेशन (एमयूएनएफआइ) संपत्तियां वर्ष 2013 में 5,000 अरब डॉलर बढ़ कर 75,000 अरब डॉलर हो गयी. एफयूएनएफआइ के आंकड़े अन्य वित्तीय मध्यस्थों की वित्तीय परिसंपत्तियों पर आधारित हैं. इसमें उन सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय लेनदेन को शामिल किया गया है, जहां ये गतिविधियां बैंकिंग तंत्र से बाहर होती हैं. इससे वित्तीय प्रणाली को संभावित जोखिम हो सकता है. वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) की ताजा रिपोर्ट में यह आंकड़ा देते हुए कहा गया है कि ऐसी परिसंपत्तियां कुल वित्तीय परिसंपत्तियों का करीब 25 प्रतिशत हैं. पिछले साल शैडो बैंकिंग परिसंपत्तियों सात प्रतिशत वृद्धि हुई. यह वृद्धि मुख्यतौर पर वैश्विक वित्तीय बाजारों में संपत्तियों के सामान्य मूल्यांकन बढ़ने से हुई. रिपोर्ट में भारत और यूरो क्षेत्र सहित 25 देशों के ऐसे आंकड़े शामिल हैं, जो कि कुल मिला कर वैश्विक जीडीपी का करीब 80 प्रतिशत हैं. वैश्विक वित्तीय प्रणाली में व्याप्त वित्तीय परिसंपत्तियों की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं.

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