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थानों को ‘इंसाफ का मंदिर’ बनाएं

केंद्रीय गृह मंत्री ने थानों को ‘इंसाफ का मंदिर’ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और पुलिसकर्मियों को जन सेवा की सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘यह आदर्श विचार तभी मूर्त रूप लेगा, जब कोई असहाय, परेशान और नाइंसाफी या अपराध का शिकार व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के थाना […]

केंद्रीय गृह मंत्री ने थानों को ‘इंसाफ का मंदिर’ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और पुलिसकर्मियों को जन सेवा की सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘यह आदर्श विचार तभी मूर्त रूप लेगा, जब कोई असहाय, परेशान और नाइंसाफी या अपराध का शिकार व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के थाना जाये तथा वहां मौजूद पुलिस अधिकारी उसका दुख-दर्द सुने, समझे और सहानुभूति महसूस करे तथा उसका हल करने में जुट जाएं.’ कहा, ‘पहले पुलिसब ल की भूमिका ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की रक्षा एवं संरक्षण करना था. लेकिन आज आपकी भूमिका आम आदमी की रक्षा के लिए बदल गयी है. अब आप लोकतंात्रिक व्यस्था में काम कर रहे हैं. यही वजह है कि आप लोगों और उनके हितों एवं कल्याण के लिए काम करें.’

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