35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं लग सका वाटर फिल्टर

वरीय संवाददाता, रांचीराज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक कई बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो रही हैं. केंद्रों में वाटर फिल्टर, वेइंग मशीन, शुद्ध पीने के पानी के लिए ट्यूबवेल का निर्माण और अन्य कार्य किया जाना था. पर सरकार इस दिशा में खास कार्रवाई नहीं कर पायी है. 38 हजार 400 केंद्रों में साधारण […]

वरीय संवाददाता, रांचीराज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक कई बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हो रही हैं. केंद्रों में वाटर फिल्टर, वेइंग मशीन, शुद्ध पीने के पानी के लिए ट्यूबवेल का निर्माण और अन्य कार्य किया जाना था. पर सरकार इस दिशा में खास कार्रवाई नहीं कर पायी है. 38 हजार 400 केंद्रों में साधारण वाटर फिल्टर भी नहीं है. सात करोड़ से अधिक की लागत से वाटर फिल्टर की खरीद की जानी थी. जनवरी 2014 से अब तक इसकी निविदा कई बार रद्द की गयी और कई बार इसकी तकनीकी शर्तें भी बदली गयीं. सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचने वाली गर्भवती माताएं, धातृ माताएं और बच्चों को पूरक पोषाहार के अलावा फिल्टर्ड वाटर उपलब्ध कराना चाहती थी. 20 लीटर क्षमता वाले फिल्टर की खरीद से संबंधित आवेदन की नयी तिथि छठ के बाद घोषित होने की संभावना है. सेविका और सहायिका को भी नहीं मिल पायी साड़ी केंद्र में कार्य करनेवाली सहायिका और सेविकाओं के लिए साड़ी भी अब तक नहीं मिल पायी है. सरकार की ओर से साड़ी खरीद के लिए नयी शर्तें रखी गयी हैं. साड़ी बनानेवाली कंपनी की उत्पादन क्षमता एक लाख मीटर प्रति दिन की शर्त रखी गयी है. भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय और वन और पर्यावरण मंत्रालय की ओर से प्रदूषण मुक्त सर्टिफिकेट सौंपने की बातें भी कही गयीं हैं. आवेदकों को साड़ी का तीन-तीन सैंपल भी जमा कराना है, जो एनएबीएल से टेस्टेड हो. इन शतार्ें की वजह से लगातार दो-तीन वर्षों से सेविका, सहायिकाओं को साड़ी नहीं मिल पा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंगनबाड़ी केंद्रों में भी स्वच्छता अभियान चलाने का आदेश दिया है. इसमें पीने के पानी की उपलब्धता और शौचालय बनाने पर जोर दिया गया है. केंद्रों तक आनेवाले बच्चों का वजन मापने के लिए वेइंग मशीन से संबंधित निविदा पर फैसला नहीं हो पाया है.भंडारण की समस्यासरकार की ओर से पूरक पोषाहार के रूप में माइक्रोन्यूट्रिएंट फूड्स की आपूर्ति एक सितंबर से शुरू कर दी गयी है. पर फूड्स के भंडारण की समस्या है. सरकार ने कुपोषित बच्चों, माताओं के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट के रूप में पंजीरी और उपमा की आपूर्ति शुरू की है. इसके लिए तीन कंपनियांें का चयन किया गया है. सरकार ने इंटर लिंक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, कोटा दाल मिल और बोकारो की आदित्य फ्लोर मिल को माइक्रोन्यूट्रिएंट की आपूर्ति का कार्यादेश दिया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें