तसवीर अमित दास की लाइफ रिपोर्टर @ रांची कई छठ व्रती अपने घर-आंगन में पोखर नुमा गड्ढा खोद कर छठ पर्व पर अर्घ्य देती हैं. छठ पवित्रता का पर्व है. इसलिए व्रती घरों में भी हॉज का निर्माण कर परंपरा का निर्वाह कर रही हैं. वैसे भी पारंपरिक लोकगीतों में घर में पोखर खोद कर छठ व्रत करने का वर्णन है. शहर की ऐसे ही कुछ व्रतियों से लाइफ @ रांची ने बातचीत की. …………………………ऋता शुक्ला पत्रकारिता विभाग की पूर्व निदेशक व साहित्यकार ऋता शुक्ला पिछले 35 वर्षों से अपने मोरहाबादी स्थित घर के आंगन में पोखर(हॉज)बनवा कर छठ कर रही हैं. श्रीमती शुक्ला बताती हैं कि आज से 35 वर्ष पहले कांके डैम में अर्घ्य देने के बाद मुझे इंफेक्शन हो गया था. इससे काफी दिनों तक बीमार रही. इसके बाद हमने निश्चय किया कि अब आंगन में ही हॉज बना कर व्रत करूंगी. आज हॉज में ही स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हूं. ………………….दीनेश्वर पांडेय राधा गोविंद स्ट्रीट थड़पखना के रहने वाले दीनेश्वर पांडेय पांच सालों से घर में ही छठ पूजा कर रहे हैं. इसके लिए श्री पांडेय ने छत पर ही हॉज बना लिया है. वह कहते हैं कि आज कल तालाबों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. इतनी अधिक भीड़ होती है, कि परिवारवाले भी घाट पर असहज महसूस करते हैं. इसलिए छत पर हॉज बनाया है. यहीं हम अर्घ्य देते हैं. इसमें परिजन और रिश्तेदार भी शामिल होते हैं.
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पोखर बना कर करते हैं छठ
तसवीर अमित दास की लाइफ रिपोर्टर @ रांची कई छठ व्रती अपने घर-आंगन में पोखर नुमा गड्ढा खोद कर छठ पर्व पर अर्घ्य देती हैं. छठ पवित्रता का पर्व है. इसलिए व्रती घरों में भी हॉज का निर्माण कर परंपरा का निर्वाह कर रही हैं. वैसे भी पारंपरिक लोकगीतों में घर में पोखर खोद कर […]
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