एजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि अगर किसी नागरिक ने आरटीआइ के जरिये संबंधित सूचना मांग रखी हो, तो नष्ट करने की नीति के तहत भी रिकॉर्ड को नष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करना कानून का उल्लंघन होगा. आयोग ने अशोक दीक्षित की याचिका पर सुनवाई करते समय इस बारे में व्यवस्था दी. दीक्षित ने दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से कुछ सूचना मांगी थी, लेकिन सूचना संबंधी रिकॉर्ड नष्ट किये जाने के नाम पर जानकारी देने से इनकार कर दिया गया. विश्वविद्यालय के स्पष्टीकरण पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यूलू ने विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि सूचना प्रदान नहीं करने के लिए क्यों नहीं उस पर 25,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाया जाये. आचार्यूलू ने कहा, ‘आयोग प्रतिवादी के दावे को नहीं स्वीकार कर सकता कि रिकॉर्ड को बिना दिखाये नष्ट कर दिया गया. कब और किस तरह नष्ट करने वाली नीति लागू कर दी गयी, खास कर जब रिकॉर्ड के संबंध में आरटीआइ आवेदन लंबित था. कहा कि लोक प्राधिकार को आयोग से स्पष्ट करना होगा कि जब आवेदनकर्ता ने खास सूचना मांगी थी तो उस वक्त पुराने रिकार्ड्स को नष्ट करने में पब्लिक रिकार्ड्स कानून 1993 के प्रावधानों का पालन किया गया अथवा नहीं. इन नियमों को लागू कराने वाले प्रभारी ने अपने कार्यालयों के लिए क्या कोई नियम बनाया. नष्ट करने से पहले फाइल के बारे में फाइल नोटिंग क्या थी. उन्होंने कहा, ‘आरटीआइ आवेदन दायर करने के बाद रिकॉर्ड नष्ट नहीं किया जा सकता चाहे नष्ट करने की नीति के तहत ज्यादा समय भी लगे और अगर नष्ट किया जाता है, तो आरटीआइ कानून की धारा 20 के तहत जुर्माना लगेगा.
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आरटीआइ आवेदन लंबित होने पर रिकॉर्ड नष्ट नहीं किया जा सकता : सीआइसी
एजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि अगर किसी नागरिक ने आरटीआइ के जरिये संबंधित सूचना मांग रखी हो, तो नष्ट करने की नीति के तहत भी रिकॉर्ड को नष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करना कानून का उल्लंघन होगा. आयोग ने अशोक दीक्षित की याचिका पर सुनवाई करते समय इस बारे […]
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