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युवतियों में ड्राइविंग का क्रेज

ड्राइविंग सीखने वाले स्टूडेंट्स में लड़कियों की संख्या लगभग 60 फीसदी राहुल गुरु @ लाइफ रांचीड्राइविंग आज के समय में लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसके कई फायदे होते हैं. जहां यह आपको आवागमन के साधनों के दायरे में बंधने से रोकता है, वहीं यह आपके अंदर के आत्मविश्वास को भी बढ़ता है. […]

ड्राइविंग सीखने वाले स्टूडेंट्स में लड़कियों की संख्या लगभग 60 फीसदी राहुल गुरु @ लाइफ रांचीड्राइविंग आज के समय में लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसके कई फायदे होते हैं. जहां यह आपको आवागमन के साधनों के दायरे में बंधने से रोकता है, वहीं यह आपके अंदर के आत्मविश्वास को भी बढ़ता है. कई बार आप स्वयं को दायरे में बंधने से रोक पाते हैं, विशेषकर वहां जहां आपको समय से पहुंचना होता है और सवारी के इंतजार में फंसे होते हैं. हम यदि कहें कि यह आज की जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. राजधानी रांची के यूथ में ड्राइविंग सीखने को लेकर काफी उत्साह है. महिलाएं भी अछूती नहीं हैं. एक कार ड्राइविंग स्कूल के मैनेजर बताते हैं कि राजधानी में लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ड्राइविंग सीखने को लेकर काफी उत्साह है. कुल ड्राइविंग सीखने वाले स्टूडेंट्स में लड़कियों की संख्या लगभग 60 फीसदी है. राजधानी में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां से ड्राइविंग सीखी जा सकती है.ड्राइविंग सीखने के फायदे- दूसरों पर आश्रित होने से छुटकारा- आप अपने समय के अनुसार आ-जा सकते हैं- आप सुरक्षित और आराम से यात्रा कर सकते हैं- जब एक बार ड्राइविंग सीख ली तो फिर यह आपके लिए ही नहीं, बल्कि आपके परिवार के लिए भी उपयुक्त होता है.- पैसे की बचत होती है.ऐसे सीखते हैं ड्राइविंग ड्राइविंग सीखाने के कोर्स को 21 दिनों में बांटा गया है. इसके तहत पहले दिन ही सीखने वाले को कार की बेसिक जानकारी दे दी जाती है. इससे जब वे रोड में आते हैं, तो उन्हें बेसिक नॉलेज मिल चुका होता है. इन 21 दिनों में प्रैक्टिकल के साथ-साथ कार के पार्ट्स की थ्योरीटिकल जानकारी भी दी जाती है. पूरे ड्राइविंग कोर्स को कुछ इस तरह से बांटा जाता है जिससे सीखने वाले को प्रैक्टिकल के साथ-साथ थ्योरीटिकल नॉलेज भी मिल जाता है. इसमें कुल कोर्स टाइम में 10 दिन प्रैक्टिकल ऑन रोड होता है. इसके तहत हर दिन 15 किलोमीटर रोड एक्सपिरियेंस कराया जाता है. थ्योरी की जानकारी क्लास बेेस्ड होती है. इसमें सड़क के कायदे कानून, ट्रैफिक सिग्नल्स, सेम्बल्स आदि की जानकारी दी जाती है. इसके अलावा कार के पार्ट्स और उसके यूज की जानकारी दी जाती है. यहां यह भी बताया जाता है कि ड्राइविंग के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाये, ताकि पार्ट्स सही सलामत रहे. साथ ही उसमें कम से कम रख रखाव की आवश्यकता हो. आखिर के दो दिनों में एक दिन ड्राइविंग का डेमो टेस्ट लिया जाता है. वहीं दूसरे दिन फाइनल टेेस्ट लेकर सर्टिफिकेट दी जाती है. गाडि़यों के हिसाब से लगते हैं शुल्क ट्रेनिंग स्कूल्स में कई तरह की कारें उपलब्ध होती हैं, जिनपर ट्रेनिंग दी जाती है. सीखाने के लिए लिया जाने वाला शुल्क कारों के प्रकार पर निर्भर करता है. संस्थान के प्रमुख बताते हैं कि इसके पीछे कई कारण होते हैं. पहला अंतर तो डीजल और पेट्रोल कार का होता है. एसी और नॉन एसी होना भी फीस का एक आधार होता है. इसके अतिरिक्त कारों के फीचर्स जिसमें गाड़ी की माइलेज और मेंटनेंस को ध्यान में रखा जाता है. उदाहरण के लिए यदि आप स्विफ्ट कार को लें, तो यह स्पोर्ट्स सेग्मेंट की कार है. इसके मेंटनेंस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इस तरह की कारों का रफ एंड टफ यूज नहीं कर सकते हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि जब एक नया आदमी पहली बार ड्राइव करता है, तो कार के कई ऐसे पार्ट्स होते हैं, जिनपर नयी ड्राइविंग का असर होता है. खासकर क्लच-प्लेट पर असर होता है. इसलिए भी कारों के अनुसार फीस निर्धारित किये जाते हैं.विशेष मशीन में स्पेशल क्लासट्रेनिंग के 21 दिनों के तहत ही 5 दिनों की विशेष क्लास भी करायी जाती है. यह क्लास सिम्युलेटर नामक विशेष मशीन में दी जाती है. असल में यह मशीन एक तरह का वर्चुअल कंप्यूटर होती है. जिसे आप डमी कार भी कह सकते हैं. इसमें आप स्टेयरिंग बैलेंस और एक्सलरेटर कंट्रोल सीखते हैं. पांच दिनों की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब आप सड़क पर आयेंगे तब आप जान पायेंगे की ऑन रोड किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है.और भी हैं ड्राइविंग टीचर्स सिटी में ड्राइविंग स्कूल के अलावा भी ड्राइविंग सीखने के कई विकल्प मौजूद हैं. इन्हें आप पर्सनल टीचर्स कह सकते हैं. अमूमन ये टीचर्स आपको हफ्ते में तीन दिनों की क्लास देते हैं. इनकी फीस हर दिन के क्लास के हिसाब से 100 रुपये 200 रुपये के बीच होती है. ………………कोट: मारुति ड्राइविंग स्कूल के मैनेजर विनय कुमार कहते हैं कि शहर में गाड़ी ड्राइविंग सीखने वाले की कमी नहीं हैं. यहां के यूथ भी ड्राइविंग के लिए काफी कंसस होते हैं . लड़के ही नहीं लड़कियां और महिलाएं भी ड्राइविंग सीखना चाहती हैं. फिलहाल हमारे यहां 9 से 10 महिलाएं कार चलाना सीख रही हैं.

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