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सतबरवा ओपी प्रभारी निलंबित

डीआइजी ने की कार्रवाई, कर्तव्यहीनता का आरोप प्रतिनिधि, मेदिनीनगर.सतबरवा के थाना प्रभारी डरपोक हैं. थानेदार ने कार्य के दौरान डरपोक, अयोग्य, कर्तव्यहीन एवं असंवेदनशील पदाधिकारी के रूप में कार्य किया गया है. डीआइजी रविकांत धान ने अपनी रिपोर्ट में यह टिप्पणी की है. कहा है कि सतबरवा के तुंबागाडा के नवजीवन अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी […]

डीआइजी ने की कार्रवाई, कर्तव्यहीनता का आरोप प्रतिनिधि, मेदिनीनगर.सतबरवा के थाना प्रभारी डरपोक हैं. थानेदार ने कार्य के दौरान डरपोक, अयोग्य, कर्तव्यहीन एवं असंवेदनशील पदाधिकारी के रूप में कार्य किया गया है. डीआइजी रविकांत धान ने अपनी रिपोर्ट में यह टिप्पणी की है. कहा है कि सतबरवा के तुंबागाडा के नवजीवन अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जीवन कुरवेला का पलायन सतबरवा के थाना प्रभारी की लापरवाही का प्रतिफल है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआइजी श्री धान ने सतबरवा ओपी के प्रभारी विनोद कुमार गुप्ता व सहायक अवर निरीक्षक सत्यराम पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. निलंबन अवधि में दोनों पदाधिकारियों का मुख्यालय मेदिनीनगर का पुलिस केंद्र होगा. मालूम हो कि 16 अगस्त को लातेहार जिला में बंदी के दौरान दो उग्रवादी संगठन जेजेएमपी व टीपीसी के बीच मुठभेड़ में जेजेएमपी के कुछ उग्रवादी जख्मी हुए थे. जख्मी उग्रवादियों के इलाज के लिए कुछ उग्रवादी तुंबागाडा में कार्यरत डाक्टरों को ले जाने के लिए आये थे, लेकिन चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जीवन कुरवेला ने जाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उग्रवादियों ने उन्हें अस्पताल छोड़ कर जाने की धमकी दी थी. इस मामले में डॉ जीवन ने 17 अगस्त को सतबरवा में लिखित रूप से आवेदन दिया था, लेकिन इस मामले में सतबरवा ओपी प्रभारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. उन्होंने सिर्फ सन्हा ही दर्ज किया. इसकी जानकारी डीआइजी को लातेहार एसपी द्वारा प्राप्त हुई थी. इसके बाद उन्होंने पलामू एसपी को मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा था. अपने आदेश में डीआइजी ने कहा था कि यदि नवजीवन अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक प्राथमिकी दर्ज कराने से डर रहे हैं, तो स्थानीय ओपी प्रभारी प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाये. साथ ही अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक एवं कर्मचारियों को सुरक्षा दी जाये. लेकिन सतबरवा ओपी में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी थी. इस मामले में डीआइजी ने डीएसपी द्वितीय व ओपी प्रभारी स्पष्टीकरण मांगा था, जो संतोषजनक नहीं पाया गया. इस मामले की समीक्षा के दौरान डीआइजी श्री धान ने पाया कि इस पूरे मामले में सतबरवा ओपी पुलिस को पूरी जानकारी थी. उसके बाद भी तत्काल न तो प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई की गयी और न ही डॉ जीवन के परिवार को ही कोई सुरक्षा दी गयी. पूरे मामले में ओपी प्रभारी विनोद कुमार गुप्ता ने डरपोक, अयोग्य, कर्तव्यहीन और असंवेदनशील पदाधिकारी के रूप में कार्य किया.

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