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लीज नवीकरण की शर्तों से फिर अटकेगा मामला

हेडिंग ::: कंपनियों को करना होगा हजार करोड़ का भुगतान सरकार ने कैबिनेट से लीज नवीकरण की स्वीकृति के साथ कई शर्तें जोड़ीं सरकार की शर्तों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारीडिम्ड एक्सटेंशन के दौरान निकाले गये लौह अयस्कों को अवैध ठहरायाइस दौरान निकाले गये खनिजों की कीमत का भुगतान करने को कहाखान […]

हेडिंग ::: कंपनियों को करना होगा हजार करोड़ का भुगतान सरकार ने कैबिनेट से लीज नवीकरण की स्वीकृति के साथ कई शर्तें जोड़ीं सरकार की शर्तों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारीडिम्ड एक्सटेंशन के दौरान निकाले गये लौह अयस्कों को अवैध ठहरायाइस दौरान निकाले गये खनिजों की कीमत का भुगतान करने को कहाखान विभाग का अनुमान कंपनियों को आठ से 10 हजार करोड़ रुपये तक देने पड़ेंगेसुनील चौधरी, रांची राज्य सरकार विभिन्न खदानों के लीज नवीकरण को लेकर जो शर्तें लगा रही है, उसे लेकर अब कंपनियां उलझन में हैं. सरकार की शर्तों को मानें तो एक-एक कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा सकता है. खान विभाग के अनुमान के मुताबिक, आठ से दस हजार करोड़ रुपये कंपनियों को देने पड़ेंगे. सरकार ने लीज समाप्त होने की अवधि के बाद निकाले गये लौह अयस्क को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाल देते हुए अवैध ठहराया है . इस दौरान किये गये खनिजों के मूल्य के बराबर राशि भुगतान करने की शर्तें रखी है. सरकार ने कैबिनेट से लीज नवीकरण की स्वीकृति के साथ 25 से लेकर 30 शर्तें जोड़ दी है. इसमें दो शर्तों को लेकर कंपनियों को आपत्ति है और कंपनियां अब सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार ने पिछली दो कैबिनेट की बैठक में टाटा स्टील को 768.55 हेक्टेयर भूमि पर लौह अयस्क के खनन पट्टे का 20 साल के लिए नवीकरण की मंजूरी दी. वहीं सेल को धोबिन-द्वायबुरू में 513 हेक्टेयर पर, गुवा-बरगायबुरू के 1043 हेक्टेयर में से 635 हेक्टेयर पर लौह अयस्क के खनन पट्टे का 20 साल के लिए नवीकरण किया. साथ ही एसीसी सीमेंट को चाईबासा में दिये गये चूना पत्थर खनन के लीज का 20 साल के लिए नवीकरण किया. इसके अलावा रूंगटा माइंस, ओडि़शा मैंगनीज एंड मिनरल व विजय कुमार ओझा के खनन पट्टे पर नवीकरण की मंजूरी दी गयी है. यूसिल के जादूगोड़ा माइंस की मंजूरी पहले ही दे दी गयी थी. जितने क्षेत्र का फॉरेस्ट क्लीयरेंस उतने ही क्षेत्र का नवीकरणटाटा स्टील का नोवामुंडी माइंस 1160.36 हेक्टेयर का है. जबकि राज्य सरकार ने 768.55 हेक्टेयर पर खनन करने की मंजूरी दी है. इसमें शर्त जोड़ दी गयी है कि जितने एरिया का फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिला है, उतने ही एरिया का लीज नवीकरण होगा. भुगतान की शर्त को लेकर विवादलीज नवीकरण की शर्त में सबसे कठिन शर्त लीज नवीकरण समाप्त होने की तिथि से 18 जुलाई 2014 तक की अवधि में निकाले गये खनिजों के मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना है. इसकी तिथि को लेकर भी विवाद है. खान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जैसे टाटा स्टील के नोवामुंडी माइंस की लीज अवधि 2012 में समाप्त हुई तो उसे 20 वर्षों यानी 2032 तक की अवधि तक के लिए नवीकरण किया गया है. जबकि दूसरी ओर टाटा स्टील के ही एक अधिकारी कहते हैं कि एक तरफ सरकार लीज समाप्त होने की तिथि से निकाले गये खनिजों की राशि मांग रही है, वहीं दूसरी तरफ लीज भी इसी तिथि से दे रही है. जबकि 18 जुलाई 2014 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए खनिजों के उत्खनन पर रोक लगा दी थी. आठ से दस हजार करोड़ तक देनें पड़ेंगे विभाग के ही एक अधिकारी ने बताया कि निकाले गये खनिजों का मूल्यांकन हो रहा है. दरअसल खनिजों की दर का निर्धारण इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस(आइबीएम) द्वारा समय-समय पर किया जाता है. अब किस अवधि में क्या दर थी, उसके मुताबिक मूल्य निर्धारण करना होगा. इसमें समय लग रहा है. अनुमानित गणना है कि यह राशि आठ से 10 हजार करोड़ के करीब होगी. कारण है कि सेल की लीज अवधि 2009 में ही समाप्त हो गयी थी. यानी तब से की गयी खुदाई को अवैध माना गया है. कमोबेश यही स्थिति अन्य माइंस को लेकर भी है. कोर्ट में चुनौती देने की तैयारीसेल के अधिकारी ने इस मामले पर कहा कि इसकी समीक्षा की जा रही है. वहीं टाटा स्टील के एक अधिकारी के मुताबिक अन्य शर्तें सामान्य है, पर दो शर्तें ऐसी लगायी गयी है, जिससे लगता है कि अब माइंस चालू नहीं हो पायेगा. उनके पास कोर्ट के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है.

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