वरीय संवाददाता, रांचीहम श्रद्धांजलि उन्हें दे रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान की कुरबानी देकर हमारा मस्तक ऊंचा किया है. आप जांबाज सिपाहियों के परिजन हैं. आपके लिए जो भी बन पड़ेगा, हम वह सब करेंगे. शहीदों के परिजनों के साथ हम हर वक्त खड़े रहेंगे. उक्त बातें डीजीपी राजीव कुमार ने जैप-एक परिसर में आयोजित शहीद सम्मान समारोह में कही. मौके पर उन्होंने कहा कि पिछले साल भी शहीदों के परिजनों के लिए समारोह का आयोजन हुआ था. उस वक्त हमनें सबकी समस्याएं सुनीं थी. शहीदों के परिजनों की समस्याओं को दूर करने का हर संभव प्रयास हम कर रहे हैं. आज भी हम समस्याओं को सुनेंगे और उसे दूर करने की कोशिश करेंगे. डीजीपी ने कहा: जानकारी मिली कि वर्ष 2008 में शहीद हुए जवानों के परिजनों को बीमा की राशि नहीं मिली है. हम इस तरह की किसी लापरवाही को बरदाश्त नहीं करेंगे. हमने इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. डीजीपी ने शहीदों के आश्रितों को कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद दिया. कार्यक्रम में स्वागत भाषण झारखंड पुलिस एसोसिएशन के महामंत्री कमल किशोर ने दिया. उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम की चर्चा पूरे देश में हो रही है. डीजीपी ने परिजनों को किया सम्मानितडीजीपी राजीव कुमार ने राज्य पुलिस के शहीद जवानों के परिजनों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया. परिजनों को तोहफे में एक-एक ट्रेवलर बैग भी दिये गये. समारोह में शहीद हुए 222 पुलिसकर्मियों के परिजन यहां आमंत्रित थे. इस दौरान डीजीपी एक-एक कर सभी शहीद जवानों के परिजनों से मिले. आये सभी अफसर, पर कुछ जल्दी चले गयेसम्मान समारोह में राज्य पुलिस के कई आला अधिकारी भी शामिल हुए. डीजी होमगार्ड आशा सिन्हा, एडीजी रेल अशोक कुमार सिन्हा, एडीजी मुख्यालय बीबी प्रधान, एडीजी जैप कमल नयन चौबे, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर केएस मीणा, एडीजी स्पेशल ब्रांच रेजी डुंगडुंग, आइजी प्रोविजन अनुराग गुप्ता, रांची आइजी एमएस भाटिया, आइजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा, आइजी दुमका उमेश सिंह, डीआइजी जैप सुमन गुप्ता, डीआइजी एसटीएफ अरुण सिंह, डीआइजी रांची प्रवीण कुमार, दुमका डीआइजी प्रिया दुबे, कोल्हान डीआइजी मो नेहाल, पलामू डीआइजी आरके धान समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत में डीजी और एडीजी रैंक के सभी अफसरों को मंच पर बैठाया गया. कार्यक्रम शुरू होने के कुछ देर बाद ही डीजी होमगार्ड आशा सिन्हा व एडीजी अशोक कुमार सिन्हा कार्यक्रम से चले गये. अन्य दूसरे एडीजी भी मंच से कुछ देर के लिए गायब रहे.भोजन किये बगैर निकले कई परिजनडीजीपी के हाथों सम्मानित होने के बाद कई शहीदों के परिजन जैप-एक परिसर से निकलते देखे गये. परिजनों के लिए जैप परिसर में ही भोजन की व्यवस्था थी, लेकिन दिन के एक बजे तक भोजन शुरू नहीं होने के कारण कई परिजन बिना भोजन किये ही बाहर निकल गये.शहीदों के परिजनों ने सुनायी व्यथासम्मान समारोह में आये शहीदों के परिजनों ने अपनी व्यथा सुनायी. किसी ने पेंशन नहीं मिलने की शिकायत की, तो किसी ने सुविधा नहीं मिलने की बात कही. शहीद डीएसपी प्रमोद कुमार, शहीद अमरजीत बलिहार, शहीद जवान अशोक गिरि, हवलदार रवींद्र सिंह, शहीद दिनेश महतो, शहीद राम गहन प्रसाद, शहीद देवेंद्र त्रिपाठी, शहीद सिपाही सुनील कुमार साही, शहीद इंस्पेक्टर दिवाकर सिंह, शहीद सिपाही शैलेंद्र कुमार सिंह, सिपाही रणधीर भारद्वाज, इंस्पेक्टर वरुण कुमार के परिजनों ने अपनी-अपनी समस्याएं रखीं. फोटो राज कौशिक कीसंवाददाता,रांची चार साल का भाड़ा अब तक नहीं मिला: मंजु सिन्हापिठौरिया में वर्ष 25 दिसंबर 2003 में शहीद अशोक गिरि की पत्नी पत्नी कुमारी मंजु सिन्हा जो अभी पंडरा ओपी में पदस्थापित ने कहा कि पति के शहीद होने के बाद उन्हें नौकरी मिल गयी. वह चार साल तक भाड़ा के मकान में रही. लेकिन अभी तक उन्हें चार साल का भाड़ा विभाग से नहीं मिला है.दस साल से पारिवारिक पेंशन नहीं मिला : सुमा देवीशहीद हवलदार रवींद्र सिंह की पत्नी सुमा देवी(बाढ़) ने कहा उनके पति 2003 में शहीद हुए थे. दस साल से पारिवारिक पेंशन नहीं मिला है. तबीयत खराब रहती है. डा केके सिन्हा से इलाज चल रहा है. इसलिए पुलिस लाइन रांची में आवास मिलना चाहिए.पूरे परिवार को रेलवे रियायत मिलनी चाहिए : पूनम कश्यप लोहरदगा में लैंड माइंस में विस्फोट में तीन मई 2011 को शहीद हुए दिनेश महतो की पत्नी पूनम कश्यप ने कहा कि विभाग ने 75 प्रतिशत रेलवे रियायत एक व्यक्ति के लिए दिया है, वह पूरे परिजन के लिए मिलना चाहिए. प्रतिमा लगाया जाय और शहीद द्वार पति के नाम से बने : मंजु देवी लैंड माइंस बलास्ट में 30 जून 2008 को शहीद डीएसपी प्रमोद कुमार की पत्नी मंजु देवी ने कहा कि वे लोग जामताड़ा,मिहिजाम की निवासी हैं. उनके पुत्र को नौकरी नहीं मिली है. खेल कूद व कला संस्कृति विभाग द्वारा जामताड़ा में शहीद बेदी बना दी गयी प्रतिमा नहीं लगाया है. प्रतिमा लगा कर वहां प्रमोद कुमार के नाम से शहीद द्वार बनाया जाय. पेंशन नहीं मिल रहा : सिवंती देवीचाइबास के गोइलकेरा 10 जून 2009 को लैंड माइंस में शहीद राम गहन प्रसाद की पत्नी सिवंती देवी(हुसैनाबाद,अली नगर) ने कहा कि उन्हें इतने दिन बीत जाने के बाद भी पारिवारिक पेंशन नहीं मिल रहा है. हालांकि बड़े पुत्र को नौकरी मिल गयी है. हमें विभाग ने सब कुछ दिया : अंजु त्रिपाठी19 दिसंबर 2002 में सारंडा में लैंड माइंस बलास्ट में शहीद देवेंद्र त्रिपाठी की पत्नी अंजु त्रिपाठी ने कहा कि विभाग से हमें कोई शिकायत नहीं है. मेरे पुत्र को नौकरी मिल गयी है. आवास की समस्या है : गीता देवी सिमडेगा के बांसजोरी में एक जनवरी 2008 में शहीद सिपाही सुनील कुमार साही की पत्नी गीता देवी ने कहा उन्हें नौकरी तो मिल गयी. वह सिमडेगा महिला थाना में कार्यरत हैं. वहीं रहती है. मेरे पास अपना आवास नहीं है. उनका ससुराल चान्हो के हुरहुरी में है,जबकि मायके पिठौरिया में है. परिजनों के लिए भी हो रेलवे रियायत: रानी विभा सिंहसारंडा में 19 दिसंबर 2002 में लैंड माइंस बलास्ट में शहीद इंस्पेक्टर दिवाकर सिंह की पत्नी रानी विभा सिंह ने कहा कि विभाग ने उनकी पुत्री को जमशेदपुर डीसी ऑफिस में नौकरी दी है. लेकिन रेलवे रियायत परिजनों को भी मिलनी चाहिए. ताकि वृद्ध महिला को कहीं आने- जाने में असुविधा न हो. भाई बहन की शिक्षा में परेशानी हो रही है : अन्नु कुमारीसारंडा में 19 दिसंबर 2002 में लैंड माइंस बलास्ट में शहीद सिपाही शैलेंद्र कुमार सिंह की पुत्री अन्नु कुमारी सम्मान लेने पहुंची थी. चाइबासा के एसपी ऑफिस में उनकी पोस्टिंग हुई है. जिससे अन्य भाई बहनों की शिक्षा में परेशानी हो रही है. वह जमशेदपुर में स्थानांतरण चाहती है. ताकि उनके भाई बहन को अच्छी शिक्षा मिल सके. बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा नहीं मिल रहा : सुमन लता बलिहारपाकुंड़ में 2 जुलाई 2013 को शहीद हुए अमरजीत बलिहार की पत्नी सुमन लता बलिहार ने कहा कि अभी तक उनके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा नहीं मिल रहा. विभाग भी इस ओर कोई कदम नहीं उठा रहा है. कई बार विभाग को अपनी समस्या की जानकारी दे चुके हैं. नौकरी के बदले पैसा चाहिए : रेणु भारद्वाज 10 जून 2009 में शहीद हुए सिपाही रणधीर भारद्वाज की पत्नी रेणु भारद्वाज व उनकी मां सोनपरी देवी ने कहा कि उनके दो बच्चे हैं. सास,ससुर की तबीयत ठीक नहीं रहती. रेणु भारद्वाज उनकी देखभाल करती है.उनका कहना है कि यदि उन्हें नौकरी की जगह विभाग पैसा दिलवा दें तो वह अपने सास,ससुर की देखभाल व अपने बच्चों को शिक्षा दे सके. बड़ा पुत्र नक्सलियों से अधिक प्रताडि़त कर रहा है,जीने की इच्छा नहीं रही: डीएसपी बीपी शर्माजमशेदपुर से डीएसपी से सेवानिवृत बीपी शर्मा का छोटा पुत्र इंस्पेक्टर वरुण कुमार 11 जून 2002 को छत्तरपुर,पलामू में नक्सली घटना में शहीद हुए थे. उसके बड़े पुत्र अरुण कुमार जो नावार्ड में अधिकारी वह नक्सलियों से ज्यादा प्रताडि़त कर रहा है. उनके प्रताड़ना से अब जीने की इच्छा नहीं है. बड़ा पुत्र बाहर रहता है लेकिन मेरे द्वारा बनाया गया पटना के कंकड़ बाग स्थित मेरे घर में ताला कर बाहर चला गया है. हमलोग दो कमरे के मकान में रहते हैं. एक कमरे में मैं और मेरी पत्नी और दूसरे कमरे में वरुण की पत्नी व उसकी जवान बेटी रहती है. इसकी जानकारी मैंने डीजीपी राजीव कुमार को दी थी.उन्होंने संवेदनशीलता दिखाते हुए पटना के डीजीपी से बात कर समस्या को समाधान करने की बात कही थी. लेकिन कुछ नहीं हुआ. पूर्व डीएसपी शर्मा ने डीजीपी व डीआइजी को अपनी समस्या के साथ शहीद के परिजनों के लिए कल्याणकारी योजना को बताते हुए आवेदन दिया है. हर जिला में बने अमर जवान ज्योति : सार्जेंट मेजर गुमला जिला में पदस्थापित सार्जेंट मेजर सूर्य कुमार सिंह ने कहा कि राज्य के हर जिला के पुलिस लाइन में अमर जवान ज्योति बनायी जाने की मांग की है. अमर जवान ज्योति के पास शहीदों का नाम व शहादत दिवस के साथ लिखा होना चाहिए. वर्तमान में बोकारो व जमशेदपुर मंे अमर जवान ज्योति बना हुआ है. शहीद सम्मान समारोह स्थल के पीछे पर हर प्रमंडल का टेंट लगा हुआ था. वहां डीआइजी स्तर के अधिकारी शहीद के परिजनों से उनकी समस्या पूछ रहे थे और शीघ्र समाधान का आश्वासन भी दे रहे थे.
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शहीदों के परिजनों के साथ् हैं हम: डीजीपी
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