रांची. पानी का महत्व हमारे जीवन में शुरू से रहा है. जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. पानी एक ओर जीवन देता है, दूसरी ओर कैरियर के लिए भी यह उपयोगी बन गया है. कैरियर के रूप में जल का महत्व शुद्ध पानी (फ्रेश वाटर) के लिए भी बढ़ा है और मेरिन वाटर लाइफ (समुद्री जल-जीवन) के लिए भी. फ्रेश वाटर और मेरिन वाटर का सम्मिलित अध्ययन ही एक्वाकल्चर कहलाता है. इसे करने वाले एक्वाकल्चरिस्ट. एक्वाकल्चिरस्ट का अध्ययन क्षेत्र तालाब, झील, नहर या समुद्र के ईद-गिर्द होता है. कोर्स प्रोफाइल एक्वाकल्चर के तहत जल की उपलब्धता, जल प्रदूषण आदि विषय आते हैं. फ्रेश वाटर और समुद्री जीव-जंतुओं के पालन-पोषण और उनके संरक्षण से संबंधित बातें भी इसी में शामिल हैं. इसके अलावा मछलियों के पालन-पोषण, संरक्षण, उत्पादन और कारोबार से जुड़ी बातें भी इसके अंतर्गत आती हैं. उपयोगी जलीय वनस्पतियों का अध्ययन भी इसी से संबंधित है. एक्वाकल्चर के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य इससे संबंधित वस्तुओं को मानव जीवन के लिए उपयोगी बनाना है. इसके तहत जीव-जंतुओं के सामान्य आहार के अलावा दवाओं और अन्य आवश्यक चीजों के बारे में भी जानकारी दी जाती है. जलीय जीव-जंतुओं और पौधों की नस्लों को बेहतर बनाने की कोशिश भी इसमें की जाती है, जिसके लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल होता है. कैसे-कैसे पाठ्यक्रम एक्वाकल्चर के कोर्स विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं. फिशरी साइंस की पढ़ाई कर इस क्षेत्र में जाया जा सकता है. इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई करायी जाती है. जहां स्नातक कोर्स चार वर्षीय है, वहीं स्नातकोत्तर दो वर्षीय पाठ्यक्रम है. जो विद्यार्थी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी से 12 वीं उत्तीर्ण हों, वे ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्र म में दाखिला ले सकते हैं. एमएससी इन मेरिकल्चर जैसा कोर्स भी उपलब्ध है. स्नातक करने के बाद पीजी और रिसर्च भी किया जा सकता है. इस फील्ड में कई शॉर्ट टर्म कोर्स भी हैं.व्यक्तिगत योग्यता इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए जल, कृषि और प्रकृति में दिलचस्पी का होना आवश्यक है. इसके अलावा दूरदराज के जलीय इलाकों में भी काम करने में रु चि होनी चाहिए. अवसर एक्वाकल्चर का कोर्स करने के बाद बतौर विशेषज्ञ विभिन्न एक्वाकल्चर फार्मस में डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और मैनेजमेंट से संबंधित अवसर प्राप्त होते हैं. फिश प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज और कृषि विज्ञान केंद्र के अलावा संबंधित रिसर्च सेंटरों में वैज्ञानिक के रूप में मांग बनी रहती है. सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआइ), इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आइसीएआर), मेरिन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीइडीए) आदि में बतौर विशेषज्ञ मौके मिलते हैं. मत्स्य पालन और जल वितरण से संबंधित स्वरोजगार के मौके भी हैं.
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पानी के क्षेत्र में बनायें कैरियर
रांची. पानी का महत्व हमारे जीवन में शुरू से रहा है. जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. पानी एक ओर जीवन देता है, दूसरी ओर कैरियर के लिए भी यह उपयोगी बन गया है. कैरियर के रूप में जल का महत्व शुद्ध पानी (फ्रेश वाटर) के लिए भी बढ़ा है […]
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