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वैचारिक क्रांति की आवश्यकता : निश्चलानंद

विकास के नाम पर मनुष्य को विकृत करने का किया जा रहा है प्रयास फोटो—कौशिकसंवाददाता, रांचीदेश में वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है, क्योंकि संयुक्त परिवार को इसी से बचाया जा सकता है. वैचारिक धरातल पर भारत आज भी विश्व गुरु है. उक्त बातें शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में शंकराचार्य निश्चलानंद ने कही. उन्होंने बताया कि […]

विकास के नाम पर मनुष्य को विकृत करने का किया जा रहा है प्रयास फोटो—कौशिकसंवाददाता, रांचीदेश में वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है, क्योंकि संयुक्त परिवार को इसी से बचाया जा सकता है. वैचारिक धरातल पर भारत आज भी विश्व गुरु है. उक्त बातें शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में शंकराचार्य निश्चलानंद ने कही. उन्होंने बताया कि जब शासन तंत्र धर्म व अध्यात्म से चलता था, तो देश आदर्श बनता था. अभी तक देश में जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, वह दिशाहीन रहे हैं. इसका परिणाम है कि स्वतंत्र भारत में कई बार देश का विभाजन हो चुका है. शंकराचार्य ने कहा कि व्यासपीठ धर्म एवं अध्यात्म से नियंत्रित होता था, लेकिन आजकल यह राजनीति से प्रेरित होता जा रहा है. यह देश के लिए घातक है. विकास के नाम पर मनुष्य को विकृत करने का प्रयास किया जा रहा है. भौतिकता की चकाचौंध में लोग धर्म और अध्यात्म से दूर हो रहे हैं. सनातन धर्म का विलोप हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आप मूर्ति में भगवान को मानते हैं, तो उसके कायदे कानून को मानना होगा. हर जगह विधि के हिसाब से निषेध है. यह निषेध मंदिर में भी लागू होता है. सनातन धर्म में फल से किसी को वंचित नहीं रखा गया है. यह रॉकेट एवं कंप्यूटर के युग में भी मान्य है. वर्तमान प्रधानमंत्री बाहरी देशों में भी भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं, यह अच्छी बात है. अनादि काल से पांच देवता और उनके अवतार की पूजा होती है. आस्था की पूजा होती है, लेकिन आस्था वैसी नहीं होनी चाहिए, जो प्रमाणिकता को विचलित करे.

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