इसरो के बढ़ते कदम. तीसरे नेवीगेशन उपग्रह आइआरएनएसएस 1सी का सफल प्रक्षेपण (फ्लैग)त्रअमेरिका के जीपीएस की बराबरी की ओर एक और कदमत्र45 दिन में इसरो करेगा मार्क-3 का प्रक्षेपणत्र48 ट्रांसपोंडरवाला जीसैट-16 फ्रेंच गुयाना से छोड़ा जायेगात्रआइआरएनएसएस 1डी का प्रक्षेपण दिसंबर में : राधाकृष्णनत्रसातवीं बार पीएसएलवी के एक्सएल संस्करण का इस्तेमालएजेंसियां, श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में गुरुवार को सफलता की एक और कड़ी जुड़ गयी, जब पीएसएलवी सी-26 के जरिये तड़के 1:32 बजे सफलतापूर्वक तीसरे नेवीगेशन सेटेलाइट इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (आइआरएनएसएस) 1सी को प्रक्षेपित कर दिया. 20 मिनट बाद प्रक्षेपण यान ने सफलतापूर्वक 1425.4 किलोग्राम वजनी उपग्रह को लक्षित कक्षा में स्थापित कर दिया. मिशन कंट्रोल रूम में मौजूद विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने इस सफल प्रक्षेपण के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी.आइआरएनएसएस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये देश और इसकी सीमा से 1500 किमी के क्षेत्रीय दायरे में इस्तेमालकर्ताओं को सटीक स्थैतिक सूचना सेवा मुहैया करायेंगे. आइआरएनएसएस सिस्टम में अंतत: सात उपग्रह शामिल होंगे और इसे 1,420 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2015 तक पूरा करने का लक्ष्य है. माना जा रहा है कि भारत अमेरिका के ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की बराबरी पर आकर देश का खुद का नेवीगेशन सिस्टम स्थापित करने की दिशा में और एक कदम आगे बढ़ गया है.इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष की इसरो की सबसे बड़ी परियोजना के तहत जीएसएलवी मार्क-3 को 45 दिन के भीतर प्रक्षेपित किया जायेगा, जो फोर प्लस टन वजनी प्रक्षेपणों में भारत की क्षमता की एक परीक्षा होगा. साथ ही बताया कि हमारा 48 ट्रांसपोंडरोंवाला जीसैट 16 फ्रेंच गुयाना से छोड़ा जायेगा. इसके बाद दिसंबर में आइआरएनएसएस 1डी का दिसंबर में प्रक्षेपण किया जायेगा.दो तरह की सेवाएं मिलेंगीत्रस्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस : सभी यूजर्स को उपलब्ध कराये जायेंगेत्ररेस्ट्रिक्टिड सर्विस : यह केवल अधिकृत यूजर्स को ही दिये जायेंगेकोट”पीएसएली सी-26 ने सफलतापूर्वक आइआरएनएसएस 1सी को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया है. इसरो की पूरी टीम इसके लिए बधाई की पात्र है.के राधाकृष्णन, अध्यक्ष, इसरो”इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने का अवसर प्रदान करने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूं. जब भारत एक विश्व नेता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो मुझे पक्का विश्वास है कि 21वीं सदी में नेतृत्व की कोई भी भूमिका वैज्ञानिक आधार पर आधारित होनी चाहिए. मुझे खुशी है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में हम विश्व नेता के रूप में उभरे हैं.जीतेंद्र सिंह, विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्रीवजन1425.4 किलोग्रामजीवनकाल10 साललागतङ्म1,420 करोड़सात उपग्रह होंगे प्रक्षेपित-03 पृथ्वी से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर जीइओ स्थैतिक कक्षा में स्थापित होंगे-04 उपग्रह भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किये जायेंगेतीसरा सफल प्रक्षेपणत्रएक जुलाई, 2013 को आइआरएनएसएस 1एत्रचार अप्रैल, 2014 को आरआरएनएसएस 1बीत्र16 अक्तूबर, 2014 को आइआरएनएसएस 1सीसाल का चौथा उपग्रह प्रक्षेपणजनवरी : जी सैट-14अप्रैल : आइआरएनएसएस 1बीजून : स्पॉट-7अक्तूबर : आइआरएनएसएस 1सीक्या होंगे फायदेत्रक्षेत्रीय और जहाजरानी नौवहनत्रआपदा प्रबंधनत्रवाहनों का पता लगानात्रबेड़ा प्रबंधनत्रपर्वतारोहियों और यात्रियों को यात्रा मार्ग में मददत्रचालकों को नौवहन में मददइनके पास है अपना नेविगेशनरूस : ग्लेबल आर्बटिंग नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टमअमेरिका : ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टमयूरोपीय संघ : गैलीलियोचीन : बीदयू सेटेलाइट नेवीगेशन सिस्टमजापान : क्वासी जेनिथ सेटेलाइट सिस्टम
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भारत का भी होगा अपना नेविगेशन सिस्टम
इसरो के बढ़ते कदम. तीसरे नेवीगेशन उपग्रह आइआरएनएसएस 1सी का सफल प्रक्षेपण (फ्लैग)त्रअमेरिका के जीपीएस की बराबरी की ओर एक और कदमत्र45 दिन में इसरो करेगा मार्क-3 का प्रक्षेपणत्र48 ट्रांसपोंडरवाला जीसैट-16 फ्रेंच गुयाना से छोड़ा जायेगात्रआइआरएनएसएस 1डी का प्रक्षेपण दिसंबर में : राधाकृष्णनत्रसातवीं बार पीएसएलवी के एक्सएल संस्करण का इस्तेमालएजेंसियां, श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम […]
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