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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

गंगा को अविरल व निर्मल बनाने का लक्ष्य शीर्ष अदालत ने सॉलिसीटर जनरल से पूछा – आपका अंतिम निष्कर्ष क्या है एजेंसियां, नयी दिल्लीराजग सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण स्वच्छ गंगा योजना का लक्ष्य ‘अविरल’ और ‘निर्मल’ नदी का स्थान प्राप्त करना है. न्यामयूर्ति […]

गंगा को अविरल व निर्मल बनाने का लक्ष्य शीर्ष अदालत ने सॉलिसीटर जनरल से पूछा – आपका अंतिम निष्कर्ष क्या है एजेंसियां, नयी दिल्लीराजग सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण स्वच्छ गंगा योजना का लक्ष्य ‘अविरल’ और ‘निर्मल’ नदी का स्थान प्राप्त करना है. न्यामयूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि इस योजना का अंतिम लक्ष्य सतत् अविरल और निर्मल स्वच्छ गंगा नदी का प्रवाह बनाये रखना है. जजों ने सॉलिसीटर जनरल से कहा, ‘आप पिछली तीन सुनवाई के दौरान इस बारे में दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं कर सके हैं. हम जानना चाहते हैं कि अंतिम निष्कर्ष क्या है. गंगा सफाई परियोजना पर 1985 से अब तक हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के तथ्य को स्वीकार करते हुए रंजीत कुमार ने कहा कि आज केंद्र बिंदु बदल गया है. 118 शहरों और 1649 ग्राम पंचायतों की पहचान की गयी है और आज हमारा ध्यान इस लक्ष्य को हासिल करना है.दिसंबर तक का मांगा समय सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि स्वच्छ गंगा परियोजना को प्रधानमंत्री की एक अन्य महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि अगले दो साल में यह स्पष्ट हो जायेगा कि पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बहने वाली गंगा नदी के किनारे बसे कितने शहरों और नगरों में मल शोधन संयंत्र लग चुके हैं. रंजीत कुमार इस मामले में दिसंबर तक का समय देने का अनुरोध कर रहे थे, ताकि केंद्र एक ठोस योजना तैयार कर सके. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लगायी फटकारउन्होंने गंगा नदी की मौजूदा स्थिति के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विधायी निकायों को भी जिम्मेदार ठहराया, जिसमें पिछले करीब छह महीने से अध्यक्ष नहीं है. कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपना काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि गंगा के किनारे 764 प्रदूषण फैलाने वाली इंकाईयां हैं. इस पर जजों ने कहा कि कामकाज के मामले में बोर्ड पूरी तरह असफल है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील विजय पंजवानी ने बोर्ड के कामकाज के बारे में स्पष्टीकरण दिया, तो न्यायालय ने उनसे जानना चाहा कि आपने क्या किया है. क्या आप आंख मूंद सकते हैं और यह कह सकते हैं कि यह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम है. आपने इन 764 सबसे अधिक प्रदूषित इकाईयांे के बारे में क्या किया. आप तो विशेषज्ञ एजेंसी है. उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उसके निर्देशों और हिदायतों का जवाब ही नहीं देते हैं.

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