तपेश्वर मुखिया हत्याकांड में पुलिस जांच पर उठे सवाल
सुरजीत सिंह
रांची : झारखंड बचाओ आंदोलन के प्रमुख मुकेश साव ने पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में कहा है कि वर्ष 2013 के अगस्त माह में उसने अपने साथियों के साथ मिल कर हजारीबाग के कटकमसांडी थाना क्षेत्र के शाहपुर के मुखिया तपेश्वर की हत्या की थी. मुकेश साव के इस स्वीकारोक्ति बयान ने तपेश्वर मुखिया हत्याकांड की पुलिसिया जांच को संदेह के दायरे में ला खड़ा किया है.
हत्या के बाद पुलिस ने जेपीसी (झारखंड प्रस्तुति कमेटी) के उग्रवादियों के खिलाफ कटकमसांडी थाने में प्राथमिकी (कांड संख्या-171/2013) दर्ज की थी. यह प्राथमिकी भादवि की धारा 147, 143, 148, 149, 31, 32, 452, 302, 27 आर्म्स एक्ट और 17 सीएल एक्ट के तहत दर्ज की गयी थी.
घटना के बाद पुलिस ने कोडरमा जिला बल के सिपाही जगन्नाथ साव उर्फ प्रशांत समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था. सिपाही प्रशांत पर जेपीसी संगठन से तालमेल रख कर अपराध करने का आरोप लगाया गया था. सिपाही प्रशांत को छोड़ गिरफ्तार शंभू यादव, संजय यादव व रवींद्र राणा अभी भी जेल में बंद हैं. मुकेश साव ने पुलिस को जो बयान दिया है, यदि वह सच है, तो साफ है कि वर्ष 2013 में पुलिस ने बेकसूर लोगों को जेल भेजा था.
कौन है मुकेश साव
मुकेश साव उग्रवादी संगठन झारखंड बचाओ आंदोलन का प्रमुख है. पिछले दिनों हजारीबाग की केरेडारी पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. मुकेश साव पहले टीपीसी संगठन के लिए काम करता था. बाद में झारखंड बचाओ आंदोलन नामक संगठन बनाया. मुकेश साव ने पुलिस को दिये बयान में कहा है कि वह पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव के इशारे पर काम करता था.
मुकेश का बयान
वर्ष 2013 के अगस्त में कटकमसांडी के शाहपुर के मुखिया तपेश्वर को उनके घर से टीवी देखने के समय मैंने (मुकेश साव) व अन्य 10 (मोहन साव, राजेंद्र उरांव, रेमन उरांव, कृष्णा साव, कुलदी साव, अनिल साव, गणोश यादव, अशोक साव, हरिनाथ यादव उर्फ संजय व नंद किशोर यादव) ने मिल कर उठा लिया था. उसके बाद जंगल में ले जाकर हत्या कर दी थी.