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पैसे लेकर एक आइएएस व आइएफएस अफसर की पैरवी की

तारा शाहदेव प्रकरण. रंजीत उर्फ रकीबुल ने पूछताछ में स्वीकाराएक दर्जन मामले में रंजीत ने की थी पैरवी- बहुचर्चित घोटाले में जेल में बंद थे आइएएस अफसर- कीटनाशक घोटाले में फंसे थे आइएफएस अधिकारी- पूर्व सांसद के कहने पर चतरा के भाजपा नेता की पैरवी की थीअमन तिवारी, रांचीतारा शाहदेव प्रकरण में गिरफ्तार रंजीत सिंह […]

तारा शाहदेव प्रकरण. रंजीत उर्फ रकीबुल ने पूछताछ में स्वीकाराएक दर्जन मामले में रंजीत ने की थी पैरवी- बहुचर्चित घोटाले में जेल में बंद थे आइएएस अफसर- कीटनाशक घोटाले में फंसे थे आइएफएस अधिकारी- पूर्व सांसद के कहने पर चतरा के भाजपा नेता की पैरवी की थीअमन तिवारी, रांचीतारा शाहदेव प्रकरण में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसने पैसे लेकर एक आइएएस और आइएफएस अफसर की पैरवी की थी. सीआइडी के अफसरों ने बुधवार को जेल भेजे जाने से पहले रंजीत उर्फ रकीबुल से पूछताछ की थी. रंजीत ने बताया कि राज्य के एक आइएएस अफसर बहुचर्चित घोटाले में जेल में बंद थे. उनकी जमानत के लिए उसने कोर्ट में पैरवी की थी. एक आइएफएस के लिए उसने सरकार में पैरवी की थी. आइएफएस अधिकारी एकीकृत बिहार के समय हुए कीटनाशक घोटाले में फंसे थे. निगरानी विभाग ने सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी. जिसमें उसने आइएफएस को बचाने के लिए पैरवी की थी. पैरवी के लिए दोनों अधिकारियों ने उसे पैसे दिये थे. रंजीत के मोबाइल कॉल डिटेल रिकार्ड से भी इस बात की पुष्टि हुई है. उसने इस आइएफएस अफसर से तीन जुलाई व 19 जुलाई को बात भी की थी. रंजीत के स्वीकारोक्ति बयान के मुताबिक पूर्व सांसद के कहने पर उसने चतरा के भाजपा नेता को पे-रोल पर जेल से निकलवाने के लिए पैरवी की थी. इसके लिए भी उसे रुपये मिले थे. आठ-दस जजों से संबंधरंजीत ने सीआइडी के अधिकारियों को दिये बयान में कहा है कि उसने दर्जनों मामलों में कोर्ट में पैरवी की. इस काम में उसने अपने जज मित्रों से सहयोग लिया. उसने आठ-दस जजों से अपने संबंध की बात कही. इससे पहले रंजीत ने सिर्फ चार जजों से संबंध की बात स्वीकारी थी. पैरवी के पैसे में सबका हिस्सा होता थारंजीत ने पूछताछ में सीआइडी के अफसरों को बताया कि अदालत या सरकारी विभागों में न्यायिक सेवा के अधिकारियों के सहयोग से काम करवाता था. इससे उसका काम आसान हो जाता था. पैरवी और दूसरे काम के एवज में मिले पैसे में सभी का हिस्सा होता था. पैसे का बंटवारा वह अफसरों और दूसरे लोगों के बीच भी करता था.

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