रांची: शहर की सफाई व्यवस्था में 1900 कर्मचारियों को लगाने का दावा करनेवाले नगर निगम की जमीनी हकीकत अलग है. अधिकारियों-सुपरवाइजरों की मिलीभगत से सफाई कार्य से प्रत्येक माह लाखों की राशि का वारा न्यारा किया जा रहा है.
यह राशि कर्मचारियों की अधिक संख्या बता कर किया जा रहा है. नगर निगम के वैसे अधिकारी जिनके पास इस व्यवस्था को दुरुस्त करने का जिम्मा है, वो भी कोई ठोस कदम नहीं उठाते.
चार वार्डो में हुई जांच में मिली भारी गड़बड़ी : रांची नगर निगम के एक पदाधिकारी कुछ दिन पूर्व चार वार्डो की सफाई व्यवस्था का जायजा लेने निकले. अधिकारी सबसे पहले जिस वार्ड में जायजा लेने पहुंचे, उस वार्ड में 40 कर्मचारी सफाई कार्य के लिए प्रतिनियुक्त किये गये हैं. लेकिन उस वार्ड में पदाधिकारी को केवल 10 कर्मचारी सफाई करते मिले. पदाधिकारी ने जब सुपरवाइजर से जानकारी मांगी, तो सुपरवाइजर ने तर्क दिया कि बाकी के कर्मचारी दूसरे मोहल्ले में काम कर रहे हैं. पदाधिकारी उस मोहल्ले में भी गये. परंतु यहां भी कर्मचारी नहीं मिले.
इस पर पदाधिकारी ने सुपरवाइजर को फटकार लगायी व वहां से निकल कर पदाधिकारी दूसरे वार्ड में जांच करने पहुंचे. यहां निगम के 23 कर्मचारी प्रतिनियुक्त हैं. परंतु उन्हें सफाई करते हुए मात्र पांच कर्मचारी मिले. यहां भी सुपरवाइजर ने यही तर्क दिया कि कर्मचारी दूसरे मोहल्ले में सफाई कर रहे हैं. पदाधिकारी जब दूसरे मोहल्ले में पहुंचे. तो यहां भी उन्हें कोई कर्मचारी नहीं मिला. पदाधिकारी यहां से निकल कर तीसरे मोहल्ले में गये. यहां भी उन्हें 28 कर्मचारी की जगह मात्र 12 कर्मचारी काम करते मिले, चौथे वार्ड में तो 25 की जगह मात्र नौ कर्मचारी काम कर रहे थे. इधर, नगर निगम पहुंच कर इस पदाधिकारी ने पूरी बात निगम के वरीय अधिकारियों को बतायी. परंतु उस वरीय पदाधिकारी ने उन सुपरवाइजरों पर कार्रवाई के नाम पर केवल एक दिन का वेतन काटने का आदेश दिया.