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रिटायरमेंट के बाद 78 फीसदी नहीं बचा पाते पैसा

मुद्रास्फीति के दबाव के बीच बना है असमंजसनयी दिल्ली. देश में सालाना बचत दर अधिक होने के बावजूद करीब 78 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी मानते हैं कि वे सेवानिवृत्ति के बाद आराम से दिन बिताने के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर रहे हैं. देश में बचत दर चीन के बाद सर्वाधिक है. टावर्स वाटसन की एक […]

मुद्रास्फीति के दबाव के बीच बना है असमंजसनयी दिल्ली. देश में सालाना बचत दर अधिक होने के बावजूद करीब 78 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी मानते हैं कि वे सेवानिवृत्ति के बाद आराम से दिन बिताने के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर रहे हैं. देश में बचत दर चीन के बाद सर्वाधिक है. टावर्स वाटसन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. वैश्विक पेशेवर सेवा कंपनी के अनुसार, बड़ी संख्या में कर्मचारी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि उच्च मुद्रास्फीति दबाव के बीच क्या लंबे समय तक सेवानिवृत्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं.टावर्स वाटसन इंडिया की निदेशक (बेनिफिट्स) अनुराधा श्रीराम ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति तथा छोटे परिवार की बढ़ती संख्या के कारण सेवानिवृत्ति के लिए पर्याप्त बचत तेजी से एक राष्ट्रीय चुनौती बनती जा रही है. इसका गंभीर आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारतीय कर्मचारी चीन के बाद सर्वाधिक 16 प्रतिशत बचत कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद लोगों को इस बात का विश्वास नहीं है कि वे सेवानिवृत्ति के बाद लंबे समय तक आरामदायक जीवन व्यतीत कर सकेंगे. 78 प्रतिशत लोगों का मानना है कि उन्हें और बचत की जरूरत है. दिलचस्प बात यह है कि अपर्याप्त सेवानिवृत्ति आय से पार पाने के लिए बहुसंख्यक कर्मचारी बजाय सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने के अधिक बचत को तरजीह देते हैं.सर्वे के अनुसार, 56 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों ने कहा कि वे अधिक बचत करना चाहेंगे, जबकि 29 प्रतिशत ने कहा कि वे सेवानिवृत्ति उम्र के बाद कुछ और साल काम करने को तरजीह देंगे. अधिकतर भारतीय कर्मचारी 60 साल के आसपास सेवानिवृत्ति होने की उम्मीद करते हैं. इस आधार पर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए सेवानिवृत्ति बचत प्राथमिकता में ऊपर है. सर्वे के अनुसार, 40 साल से कम उम्र के कर्मचारियों में आवास और सेवानिवृत्ति के लिए बचत शीर्ष दो प्राथमिकताएं हैं, जबकि 40 से अधिक उम्र के कर्मचारियों में सेवानिवृत्ति के लिए बचत शीर्ष प्राथमिकता है. यह सर्वे 12 देशों में किया गया और 22,347 कर्मचारियों को शामिल किया गया, जो बड़े गैर-सरकारी नियोक्ताओं के लिए काम कर रहे हैं.

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