फ्लैग : महाधिवक्ता को नहीं दिया गया शपथपत्र, एलपीए दाखिल नहीं हो सकाहेडिंग : सरकार के कुछ बड़े लोग ठेकेदार से मिले हुए हैं?इंट्रो 697 करोड़ के ईचा डैम टेंडर में 24 जुलाई को ही झारखंड सरकार के खिलाफ फैसला आया है. महाधिवक्ता ने राय दी कि इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में एलपीए दाखिल करना चाहिए. विभाग भी सहमत है. फैसला आये 26 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक हाइकोर्ट में अपील नहीं की गयी है. खबर है कि विभाग के अधिकारियों ने अब तक शपथपत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है. इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार के कुछ बड़े लोग ठेकेदार से मिले हुए हैं.विवेक चंद्ररांची : ईचा डैम टेंडर पर माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरआर प्रसाद के बेंच ने 24 जुलाई को सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था. उसी दिन अतिरिक्त महाधिवक्ता अजीत कुमार ने राज्य के प्रधान सचिव (जल संसाधन विभाग) को सुझाव दिया था कि सरकार को इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट के डिवीजन बेंच में जाना चाहिए. सरकार के सचिव अविनाश कुमार ने 13 अगस्त को अपर महाधिवक्ता को पत्र लिख कर स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट के अनुमोदन की जानकारी दी थी. एलपीए दाखिल करने की बात कहते हुए प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता बीसी दास को प्राधिकृत करने की बात कही थी. इसके बावजूद अब तक एलपीए दायर नहीं किया गया है. नियमत: हाइकोर्ट के फैसले के 60 दिनों के अंदर एलपीए दायर किया जा सकता है. लगभग 26 दिन बीत चुके हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि एलपीए दायर करने के लिए शपथ पत्र पर विभाग के अधिकारियों को हस्ताक्षर करना होता है. अधिकारियों ने अब तक हस्ताक्षर ही नहीं किया है जिसके कारण एलपीए दायर नहीं किया जा सका है. अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने 13 अगस्त को ही पत्र लिख कर जल संसाधन विभाग से शपथ पत्र मांगा था. पत्र में अपर महाधिवक्ता ने बताया है कि झारखंड उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के संबंधित फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए सभी जरूरी कागजात तैयार है. कागजात में केवल विभाग द्वारा दायर किये गये शपथ पत्र (शपथपत्र) की कमी है. शपथ पत्र जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाये. शपथ पत्र मिलते ही अपील दाखिल कर दी जायेगी. अविनाश कुमार ने इंजीनियर इन चीफ के खिलाफ पत्र लिखाजल संसाधन विभाग के तत्कालीन सचिव अविनाश कुमार ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है कि इंजीनियर इन चीफ एलपीए दायर नहीं करने के पक्ष में स्थिति बनाते रहे हैं. एलपीए दायर करने के लिए अपर महाधिवक्ता के कार्यालय से भेजे गये फैक्ट की फाइल उपलब्ध होने के बाद भी सचिव के अनुमोदन के लिए नहीं लाया गया. सचिव द्वारा पूछने के बाद भी चीफ इंजीनियर तार्किक उत्तर नहीं दे पाये. पत्र में लिखा है कि मंत्री के मंत्रालय में नहीं रहने पर भी अनावश्यक और अमहत्वपूर्ण कार्य के नाम पर लंबी अवधि के लिए गायब हो गये. कनीय अधिकारी को फाइल देकर मोबाइल बंद करके चले जाने को कहा. हालांकि इंजीनियर इन चीफ को पता था कि सचिव द्वारा संबंधित फाइल खोजी जा रही है. श्री कुमार ने पत्र में कहा है कि मामले में इंजीनियर इन चीफ और चीफ इंजीनियर (मॉनिटरिंग) ने अनावश्यक दबाव में काम किया है.
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अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल नहीं करना चाहती सरकार! (विजय भैया के ध्यानार्थ)
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