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सीबीआइ ने सबका ब्योरा मांगा

आयात के जरिये सीमापार से धन की हेराफेरी करने वाली कंपनियों की खैर नहीं एजेंसियां, नयी दिल्लीसीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने वित्त मत्र्ंालय को पत्र लिख कर राजस्व सूचना निदेशालय (डीआरआइ) से ऐसे मामलों का ब्योरा मांगा है जिनमें कंपनियों ने आयात खेप का मूल्य कथित तौर पर बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया और जिससे उन्हें कर्ज […]

आयात के जरिये सीमापार से धन की हेराफेरी करने वाली कंपनियों की खैर नहीं एजेंसियां, नयी दिल्लीसीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने वित्त मत्र्ंालय को पत्र लिख कर राजस्व सूचना निदेशालय (डीआरआइ) से ऐसे मामलों का ब्योरा मांगा है जिनमें कंपनियों ने आयात खेप का मूल्य कथित तौर पर बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया और जिससे उन्हें कर्ज देने वाले बैंकों का नुकसान हुआ. सूत्रों ने बताया कि सिन्हा ने वित्त मंत्रालय के बैंकिंग एव राजस्व विभाग के सचिवों के लिखे पत्र में कहा कि आम तौर ऐसे मामलों में कंपनियों द्वारा विदेश से धन के गैरकानूनी तरीके से अंतरण के लिए व्यावसायिक समूह की मुखौटा कंपनी द्वारा आयात बिल को बढ़ा-चढ़ा कर भेजने का हथकंडा अपनाया जाता है..सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने जिस तरह के हथकंडे का संकेत दिया है उसके मुताबिक जब घरेलू कंपनियां किसी देश की कंपनी से आयात का सौदा करती हैं तो उस सामान का बिल समूह की किसी अन्य देश की मुखौटा कंपनी द्वारा बढ़ा चढ़ा कर भेजा जाता है. इससे आयात समूह को बैंकों से ऊंचे बिलों के आधार पर ऋण लेने में मदद मिलती है जबकि निर्यातक कंपनी को वास्तविक तौर पर कम राशि का भुगतान किया जाता है. राजस्व सचिव एस के दास को लिखे पत्र में सिन्हा ने कहा है कि राजस्व सूचना निदेशालय (डीआरआइ) के तहत आने वाले मामले ऐसे तृतीय पक्ष के जरिये हस्तांतरण से जुड़े हैं. सीबीआइ निदेशक ने किसी खास मामले या कंपनी विशेष का जिक्र नहीं किया है. सूत्रों ने बताया कि सिन्हा ने दास से आग्रह है किया कि वह डीआरआइ और सीमाशुल्क विभाग के पास उपलब्ध वे सभी सूचनाएं उपलब्ध करायें जिनमें करचोरी की पनाहगाह या मुखौटा कंपनियों के जरिये धन कहीं और भेजने के मामले की पहचान की गयी है. सूत्रों ने कहा कि बढ़ा-चढ़ा कर पेश किये गये बिल के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को धोखा दिया गया है इसलिए यह मामला डीआरआइ के पास भेज दिया गया है जिसके आधार पर पिछले महीने एजेंसी ने प्राथमिकी दर्ज की.

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