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मेयर को करनी थी बैठक पत्र भेज दिया उपायुक्त को

रांची: डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के विरोध में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के संदर्भ में बुलायी जानेवाली विशेष बैठक को लेकर संशय बना हुआ है. नगरपालिका अधिनियम 2011 में अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने का अधिकार मेयर को दिया है. मेयर ने खुद निर्णय न लेकर इसे उपायुक्त के पास भेज दिया. अब उपायुक्त भी […]

रांची: डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के विरोध में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के संदर्भ में बुलायी जानेवाली विशेष बैठक को लेकर संशय बना हुआ है. नगरपालिका अधिनियम 2011 में अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक बुलाने का अधिकार मेयर को दिया है.

मेयर ने खुद निर्णय न लेकर इसे उपायुक्त के पास भेज दिया. अब उपायुक्त भी मेयर के इस पत्र से असमंजस में पड़ गये हैं. वह सरकार से इसका मार्गदर्शन मांगने की तैयारी में है. इधर अविश्वास प्रस्ताव लानेवाले पार्षदों में इस बात को लेकर आक्रोश हैं कि जान बूझ कर मामले को लटकाने के लिए उपायुक्त को पत्र भेजा गया है.

क्या है मामला

नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के कार्यो से नाराज होकर 24 पार्षदों ने 13 अगस्त को मेयर आशा लकड़ा को ज्ञापन सौंपा. मेयर ने तीन दिनों तक पत्र पर चिंतन करने के बाद इसे उपायुक्त को भेज दिया. उपायुक्त को भेजे पत्र में मेयर ने लिखा कि कुछ पार्षदों द्वारा डिप्टी मेयर पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इसे लेकर विशेष बैठक बुलायी जानी है. इसलिए उपायुक्त विशेष बैठक बुलाने की कार्रवाई प्रारंभ करें.

क्या कहता है नगरपालिका अधिनियम

नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 30(2) में लिखा है कि उप महापौर/उपाध्यक्ष को अगर त्याग पत्र देना है तो वह महापौर को ही अपना इस्तीफा सौंपेंगे. अधिनियम के 30(5) में लिखा है कि निर्वाचित पार्षदों की कुल संख्या के एक तिहाई सदस्यों द्वारा लिखित आरोप पर विहित विधि से इस प्रयोजनार्थ बुलायी गयी विशेष बैठक में पार्षदों की संपूर्ण संख्या के बहुमत से पारित अविश्वास प्रस्ताव द्वारा उप महापौर को हटाया जा सकता है.

मेयर ने क्या सोच कर उपायुक्त को पत्र भेजा है यह समझ से परे है. नगरपालिका अधिनियम में तो यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मेयर विशेष बैठक बुला कर चुनाव करवा सकती है. परंतु अब मामला इसका निदान का नहीं, इसको उलझाने का है. इसलिए मेयर ने उपायुक्त को पत्र भेज दिया है. अब उपायुक्त ने सरकार से मार्गदर्शन मांगने की बात कही है. जब तक मार्गदर्शन का जवाब आयेगा तब तक आचार संहिता लग जायेगी. इस प्रकार मामला दो-तीन माह तक लटका रहेगा.

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