पूणे. कोल्हापुर की दो महिलाओं को 13 बच्चों का अपहरण करने और उनमें से नौ बच्चों का कत्ल कर देने के लिए 2001 में मौत की सजा सुनायी गयी थी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले महीने रेणुका शिंदे और उसकी बहन सीमा मोहन गावित की दया याचिका खारिज कर दी थी. फांसी दिये जाने से पहले राज्य के गृह मंत्रालय को सभी संबंधित पक्षों को सूचित करना होता है. उसकी समयसीमा आनेवाले शनिवार को खत्म हो रही है. शायद ये भारत में फांसी पानेवाली पहली महिलाएं हो सकती हैं. आजादी से अब तक भारत में जितने लोगों को फांसी दी गयी है, उनकी संख्या को लेकर विवाद है. सरकारी आंकड़े कहते हैं कि अब तक 52 लोगों को फांसी दी गयी है. पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की रिसर्च के मुताबिक, असल में यह संख्या बहुत ज्यादा है. पता लगाया है कि 1953 से 1963 के बीच ही 1422 लोगों को फांसी दी गयी. हालांकि, अब तक किसी महिला को फांसी दिये जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
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दो बहनें होंगी भारत में फांसी पानेवाली पहली महिलाएं
पूणे. कोल्हापुर की दो महिलाओं को 13 बच्चों का अपहरण करने और उनमें से नौ बच्चों का कत्ल कर देने के लिए 2001 में मौत की सजा सुनायी गयी थी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले महीने रेणुका शिंदे और उसकी बहन सीमा मोहन गावित की दया याचिका खारिज कर दी थी. फांसी दिये जाने से […]
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