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चंदे पर चलती है कांग्रेस, ठेके पर कार्यकर्ता

रांची: प्रदेश में कांग्रेस की आय का मुख्य जरिया चंदा है. पार्टी अपने समर्थकों से चंदा इकट्ठा करती है. प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी होती है कि वह कार्यक्रम के लिए व्यवस्था बनायें. केंद्र से भी समय-समय पर पैसा आता है. चुनाव के समय प्रत्याशियों को खर्चा मिलता है. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को 25-25 […]

रांची: प्रदेश में कांग्रेस की आय का मुख्य जरिया चंदा है. पार्टी अपने समर्थकों से चंदा इकट्ठा करती है. प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी होती है कि वह कार्यक्रम के लिए व्यवस्था बनायें. केंद्र से भी समय-समय पर पैसा आता है. चुनाव के समय प्रत्याशियों को खर्चा मिलता है. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को 25-25 लाख रुपये दिये गये थे.

बड़ी रैली और आयोजन के लिए प्रदेश से ही खर्च निकालने पड़ते हैं. जिस जिले में कार्यक्रम होता है, वहां के पदाधिकारियों को विशेष जिम्मेवारी दी जाती है. पार्टी के अंदर अब पूर्णकालिक (हॉल टाइमर) कार्यकर्ता का भी दौर खत्म हो गया है.

कार्यकर्ताओं को भी अपनी व्यवस्था खुद बनानी पड़ती है. कार्यकर्ता (कुछ अपवाद हैं) अपने राजनीतिक प्रभाव और दबदबे से ही खाने-पीने की जुगाड़ करते हैं. राजनीतिक दलों के अंदर ठेका-पट्टा करने की संस्कृति बढ़ी है.

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