रिजिजू ने कहा, मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश पीएम को भेजी गयीराजनाथ-वेंकैया की सफाई-अभी नहीं की गयी है किसी के नाम की सिफारिशएजेंसियां, नयी दिल्ली भारत रत्न के लिए किसी के नाम की सिफारिश नहीं की गयी है. यह सफाई आयी है मोदी सरकार की तरफ से. दरअसल, मंगलवार को गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने लोकसभा में भारत रत्न के लिए मेजर ध्यानचंद के नाम की सिफारिश की बात कही थी. उनके इस बयान के बाद मोदी सरकार ने तुरंत सफाई दी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने बयान देकर कहा कि सरकार में अभी तक इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. दरअसल, लोकसभा मंे सरकार से पूछा गया था कि भारत रत्न पुरस्कार देने के लिए क्या मानदंड है और मेजर ध्यानचंद के लिए कोई ऐसा प्रस्ताव आया है. इस पर किरन रिजिजू ने लिखित जवाब में कहा, बिल्कुल सरकार के पास ये नाम आया हुआ है. और यह नाम पीएमओ के पास भेज दिया गया है. हालांकि किरन रिजिजू यह कहना भूल गये कि यह सिफारिश पिछली सरकार द्वारा की गयी थी, जब अजय माकन खेल मंत्री थे. इसी वजह से संशय की स्थिति पैदा हुई. बयान पर सफाई देते हुए वैंकेया नायडू ने कहा, ये सब कहानी आप लोग चला रहे हैं. इसमें कोई दम नहीं है. सरकार में भारत रत्न पर कोई चर्चा नहीं हुई है. वहीं, राजनाथ सिंह ने कहा, अभी तक किसी के नाम पर विचार नहीं किया गया. लग रही हैं अटकलेंसरकार कुछ भी कहे, लेकिन अटकलों का दौर जारी है. माना जा रहा है कि एनडीए सरकार मेजर ध्यानचंद के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय और बसपा के संस्थापक कांशीराम को भारत रत्न सम्मान देने पर गंभीरता से सोच रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान इसकी घोषणा कर सकते हैं. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने पांच भारत रत्नों का ऑर्डर आरबीआइ मिंट को दिया है. भारत रत्न देश का शीर्ष नागरिक सम्मान है और इसे मानवीय व्यवहार से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व सेवा या उच्च क्षमता का प्रदर्शन करने वाले नागरिक को प्रदान किया जाता है. लंबे समय से है मांग देश को कई सम्मान दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद के लिए भारत रत्न की मांग काफी लंबे समय से की जा रही थी. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 29 अगस्त को 1905 को जन्मे ध्यानचंद को हॉकी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कहा जाता है. ध्यानचंद ने हॉकी को पूरी दुनिया के कोने-कोने में चर्चा दिलाई. इससे पहले इस साल फरवरी में क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और प्रख्यात वैज्ञानिक सीएनआर राव को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था. तेंडुलकर को भारत रत्न देने का बहुत लोगों ने विरोध करते हुए ध्यानचंद को पहले भारत रत्न देने की मांग की थी. हॉकी खिलाड़ी काफी वक्त से ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मुहिम भी चला रहे हैं. और अब लगता है कि उनकी मुहिम रंग लाने वाली है और मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न मिल जायेगा.ऐसे थे ध्यानचंद ध्यानचंद आजादी से पहले के खिलाड़ी ही नहीं, पहले भारतीय नागरिक भी थे, जिन्होंने विदेश में सार्वजनिक तौर पर तिरंगा फहराया था. ब्रिटिश शासन के कारण वे तिरंगे को अपने बिस्तर में छिपा कर अपने साथ ले गये थे. बर्लिन ओलिंपिक में मेजर ध्यानचंद ने हिटलर के सामने जर्मनी को 9-1 से रौंदा था. इस जीत के बाद हिटलर ने ध्यानचंद को बुलाया और कहा कि वे जर्मनी के लिए खेलें. इसके लिए उन्हें मुंहमांगी कीमत मिलेगी. ध्यानचंद ने प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा कि वो पैसे के लिए नहीं, देश के लिए खेलते हैं. उनके दो दशक के कैरियर में भारत एक भी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं हारा.
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मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न की सिफारिश!
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