राज कुमार शर्मा व्याख्याता, रांची विश्वविद्यालय, रांची इंट्रो— भौतिक सुख की पराकाष्ठा को प्राप्त करने की चाहत ने युवाओं की जीवन शैली को अनियंत्रित तथा असंयमित बना दिया है. आज युवा वर्ग में नशाखोरी, तस्करी व सेक्स के प्रति अति संवेदनशीलता व अन्य आपराधिक गतिविधियों में इनकी संलिप्तता आम रूप से देखी जा रही है. जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पश्चिमी जीवन शैली के प्रति इनके झुकाव से जुड़ा है. हमारे प्राचीन शास्त्रों के अनुसार भारतीय जीवन शैली में त्याग, सहनशीलता एवं प्रेम जीवन का आधार होता है, जो आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से लुप्त होता नजर आ रहा है. इंट्रो— पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध हमारी मानसिकता को मूल्यविहीन तथा अति भौतिकवादी बनाने में काफी अहम भूमिका अदा कर रहा है. हमारी युवा पीढ़ी में बुजुर्गों के प्रति सेवा-भाव की कमी, अंतर मानवीय संबंधों के प्रति आस्था हीनता, राष्ट्रीय भावना का अभाव इत्यादि स्पष्टत: दिखते हैं, जो इनके जीवन-मूल्यों के प्रति संवेदनहीनता का उदाहरण प्रस्तुत करता है. यह निश्चित रूप से एक स्वस्थ समाज की रचना में सबसे बड़ी बाधा है. इसका दंश हम सभी झेल रहे हैं. वर्तमान भारतीय समाज की स्थिति, दिशा तथा सोच इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि हम अपनी मूल संस्कृति व मान्यताओं का तिरस्कार कर अपने आप को आधुनिक बनाने की होड़ में शामिल हैं. आज आधुनिकता का अर्थ प्राचीन भारतीय शास्त्र जनित मौलिक चिंतन में निहित भावों के प्रति अनास्था व्यक्त करना तथा पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करना प्रतीत होता है. विशेष कर युवा पीढ़ी की मान्यताएं व उनके दृष्टिकोण पूर्ण रूप से पश्चिमी सभ्यता की चासनी में सनी दिखती है. आज के युवाओं में येन-केन प्रकारेण अर्थाजन करने तथा विलासिता पूर्वक जीवन-यापन करने की प्रवृत्ति प्रबल दिखती है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भारतीय परिवेश में पली-बढ़ी बालाएं फिल्मों में सस्ती लोकप्रियता व धन के लिए अंग-प्रदर्शन से गुरेज नहीं करतीं. फैशन शो तथा ब्यूटी कांटेस्ट (सौंदर्य प्रतियोगिता) का आयोजन छोटे-छोटे शहरों तक पसर चुका है. ये सभी बदलाव पश्चिमी सभ्यता के प्रति युवाओं में बढ़ता आकर्षण का प्रमाण है. इस आंधी में बह कर ये युवा अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं करते. इस वजह से हमारे समाज में कई तरह की बुराइयां उत्पन्न हो गयी है, जो हमारे सामाजिक तथा पारिवारिक संरचना को कमजोर बना रही है.भौतिक सुख की पराकाष्ठा को प्राप्त करने की चाहत ने युवाओं की जीवन शैली को अनियंत्रित तथा असंयमित बना दिया है. आज युवा वर्ग में नशाखोरी, तस्करी व सेक्स के प्रति अति संवेदनशीलता व अन्य आपराधिक गतिविधियों में इनकी संलिप्तता आम रूप से देखी जा रही है. जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पश्चिमी जीवन शैली के प्रति इनके झुकाव से जुड़ा है. हमारे प्राचीन शास्त्रों के अनुसार भारतीय जीवन शैली में त्याग, सहनशीलता एवं प्रेम जीवन का आधार होता है, जो आज पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से लुप्त होता नजर आ रहा है. पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध हमारी मानसिकता को मूल्यविहीन तथा अति भौतिकवादी बनाने में काफी अहम भूमिका अदा कर रहा है. हमारी युवा पीढ़ी में बुजुर्गों के प्रति सेवा-भाव की कमी, अंतर मानवीय संबंधों के प्रति आस्था हीनता, राष्ट्रीय भावना का अभाव इत्यादि स्पष्टत: दिखते हैं, जो इनके जीवन-मूल्यों के प्रति संवेदनहीनता का उदाहरण प्रस्तुत करता है. यह निश्चित रूप से एक स्वस्थ समाज की रचना में सबसे बड़ी बाधा है. इसका दंश हम सभी झेल रहे हैं. दरअसल, हम आधुनिकता में निहित भाव को ठीक ढंग से नहीं समझ कर पश्चिमीकरण को आधुनिकता का पर्याय मान लेते हैं. यह हमारी भूल है. आधुनिकता का सीधा संबंध हमारी मानसिकता से है. आधुनिकता वह है, जो हमारे अंदर मौजूद रूढि़वादिता, संकीर्णता व अज्ञान को दूर करने की प्रवृत्ति को संपोषित करती है. यह हमारे अंदर लोकहित के लिए उदार चिंतन कराने की क्षमता को संबद्धित करती है. यह एक दृष्टिकोण है, जो हमें पश्चिमी सभ्यता के उन अवयवों को सहज रूपों से ग्रहण करने की प्रेरणा देता है, जो इस वैज्ञानिक युग में जीवन-यापन के लिए अनिवार्य है. साथ ही साथ उस सभ्यता के वैसे तत्वों से सावधान रहने का भी बोध कराता है, जो हमारी भारत भूमि के सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मूल्यों व मान्यताओं के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाते. अर्थात आधुनिकता हमें भारतीय दर्शन के द्वारा स्थापित मानवीय मूल्यों को अक्षुण्ण रखते हुए पाश्चात्य संस्कृति के वैसे अवयवों को आत्मसात करने की प्रेरणा देती है, जो हमारी जीवन शैली को गुणात्मक रूप से समृद्ध करते हैं. अत: पश्चिमीकरण तथा आधुनिकता में अंतर्निहित इस भाव को समझ कर ही जीवन की प्राथमिकताओं को निर्धारित करना हमारे लिए उचित होगा. इसी से एक स्वस्थ भारतीय समाज की रचना की जा सकती है.
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फोटो नॉर्थ..आधुनिकता, पश्चिमीकरण व युवा मानसिकता
राज कुमार शर्मा व्याख्याता, रांची विश्वविद्यालय, रांची इंट्रो— भौतिक सुख की पराकाष्ठा को प्राप्त करने की चाहत ने युवाओं की जीवन शैली को अनियंत्रित तथा असंयमित बना दिया है. आज युवा वर्ग में नशाखोरी, तस्करी व सेक्स के प्रति अति संवेदनशीलता व अन्य आपराधिक गतिविधियों में इनकी संलिप्तता आम रूप से देखी जा रही है. […]
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