मंच ने की पूर्ण बहुमत सरकार की वकालतवरीय संवाददाता, रांची विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड लंबे संघर्ष और शहादत के बाद अलग राज्य बना है. इसका निर्माण आदिवासियों की आकांक्षा पूरा करने के लिए हुआ था. लेकिन, राज्य के पिछले 14 साल की स्थिति की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. ना विस्थापन नीति बना, ना पलायन नीति. सभी सरकार बनाने की बारगेनिंग करने और लूट में व्यस्त रहे. किसी पार्टी से या निर्दलीय 10-5 प्रत्याशियों के चुनाव जीतने के बाद सरकार बनाने और गिराने के लिए ब्लैकमेलिंग और बागरेनिंग करना राज्य की नियति बन चुका है. श्री भगत शुक्रवार को एटीआइ में ग्राम स्वराज मंच की ओर से आयोजित झारखंड की अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए आयोजित चर्चा में बोल रहे थे. इसका आयोजन अगस्त क्रांति दिवस के पूर्व किया गया. श्री भगत ने कहा कि विरोध क्षेत्रीय दलों का नहीं है. विरोध वैसे स्वरूप का है, जिससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति है. क्षेत्रीय दलों को मजबूत झारखंड के निर्माण के लिए 81 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने की कोशिश करनी चाहिए. जैसे अभी ओडिशा या पश्चिम बंगाल में हुआ है. उन्होंने कहा कि झारखंड को राजनीतिक उपनिवेश बनने से बचाना होगा. आज पूरे देश के व्यापारियों की गिद्ध दृष्टि झारखंड पर है. दूसरे राज्यों के लोग यहां से राज्यसभा भेजे जा रहे हैं. आदिवासी और गैर आदिवासी के बीच खाई पैदा करने की कोशिश की जा रही है. अगर आदिवासी भी राज्य हित में काम नहीं कर रहे हैं तो वे राज्य के दुश्मन हैं. आनेवाले विधानसभा चुनाव में हम चूके तो हम पछतायेंगे. झारखंड में सशक्त सरकार नहीं होगी, तो अच्छे दिन नहीं आयेंगेफेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बिकास कुमार सिंह ने कहा कि जब तक झारखंड में सशक्त सरकार नहीं बनेगी, तब तक हमारे राज्य में अच्छे दिन नहीं आयेंगे. सरकार ऐसी होनी चाहिए, जो गांव का विकास करे. लोग शहर छोड़ गांव की ओर जाने के लिए मजबूर होने लगें. 14 सालों में झारखंड में कोई मॉडल विकसित नहीं हुआ है. जो हमारी ताकत है, उसके प्रबंधन का उपाय नहीं हुआ है. राज्य की ताकत का एहसास कराने वाला मुख्यमंत्री इस राज्य को चाहिए. व्यापार जगत भी विकास चाहता है. इसके पीछे व्यापारियों का निजी स्वार्थ है, वह राज्य हित में है. इससे व्यापारियों को बड़ा बाजार मिलेगा. मंच के ललन शर्मा ने कहा कि आजादी के समय गांधीजी ने ग्राम स्वराज की कल्पना की थी. गांव को विकास का आधार बनाने की सोची थी. कहा था कि सत्ता दिल्ली से नहीं गांवों से चलनी चाहिए. ऐसा कुछ नहीं हुआ. गांव को अधिकार नहीं मिला. पंचायती व्यवस्था को पंगु बना दिया गया. प्रजातंत्र तानाशाही अंदाज में चलने लगा. आनेवाली सत्ता कैसे अनुशासन वाली हो, यह सोचना होगा. आनवाले विधानसभा चुनाव में झारखंड की बागडोर मजबूत हाथों में देने का संकल्प लेना होगा.नहीं बढ़े रोजगार के अवसरमंच के गोपा मिंज ने कहा कि नये राज्य से लोगों को उम्मीदें थीं. युवाओं को रोजगार की उम्मीद थी. लेकिन, ऐसा नहीं हो सका. राज्य गठन के बाद झारखंड का स्थान ऊपर से नीचे आ गया. आदिवासियों को कुछ नहीं मिला. आदिवासियों में प्रतिभा की कमी नहीं है. उनको सही दिशा नहीं मिल पायी. विकास भारती के उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे. मंच संचालन रंजना तथा अतिथियों का स्वागत राकेश तिवारी ने किया.कूपन लेकर आनेवालों की होगी मुफ्त जांचकश्यप मेमोरियल नेत्र चिकित्सालय की डॉ भारती कश्यप ने इस मौके पर एक कूपन लांच किया. यह सभी गांवों में बांटा जायेगा. डॉ कश्यप ने बताया कि इस कूपन को लेकर कश्यप मेमोरियल अस्पताल में आनेवाले लोगों की जांच नि:शुल्क होगी. इस जांच पर करीब 700 रुपये का खर्च आता है.
सत्ता के लिए बारगेनिंग व ब्लैकमेलिंग करना राज्य की राजनीति : भगत
मंच ने की पूर्ण बहुमत सरकार की वकालतवरीय संवाददाता, रांची विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि झारखंड लंबे संघर्ष और शहादत के बाद अलग राज्य बना है. इसका निर्माण आदिवासियों की आकांक्षा पूरा करने के लिए हुआ था. लेकिन, राज्य के पिछले 14 साल की स्थिति की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई […]
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