स्थानीयता पर विशेष बहस में बोले मुख्यमंत्रीवरीय संवाददाता, रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि स्थानीयता एक गंभीर मुद्दा है. इसे हम जनता पर थोप नहीं सकते हैं. एक प्रक्रिया के तहत सबकी सहमति से इसे तैयार किया जा रहा है. 14 साल में पहली बार किसी सरकार ने इतनी गंभीरता से स्थानीयता नीति तैयार करने को लेकर प्रयास किया है. प्रारूप कमेटी बनायी गयी. इसके सुझाव आये हैं. सर्वदलीय बैठक भी बुलायी गयी. अब सभी दलों से लिखित जानकारी मांगी जा रही है. मात्र तीन दलों ने जानकारी दी है. इसे पब्लिक डोमेन पर भी लाया जायेगा. राज्य में पहली बार सदन के अंदर इस मुद्दे को लेकर विशेष चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री मंगलवार को सदन में स्थानीयता पर आयोजित विशेष बहस में सरकार की ओर से बोल रहे थे. करीब साढ़े तीन घंटे चली बहस में मथुरा महतो, बंधु तिर्की, रघुवर दास, प्रदीप यादव, सौरव नारायण सिंह, अमित यादव, विनोद सिंह, बड़कुवंर गगरई, जगरनाथ महतो, गुरुचरण नायक, माधव लाल सिंह, दीपक बिरुआ, साइमन मरांडी, जनार्दन पासवान, सत्येंद्र नाथ तिवारी, अनंत प्रताप देव ने हिस्सा लिया. मुख्यमंत्री के भाषण का भाजपा ने बायकॉट किया. झाविमो ने वेल में बैठकर विरोध किया. मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि किसी भी राज्य या देश का डोमिसाइल एक होता है. एक व्यक्ति का दो डोमेसाइल नहीं हो सकता है. एसपीटी और सीएनटी एक्ट के आधार पर इसे तय करने की बात कही गयी है. लेकिन, एसपीटी और सीएनटी एक्ट 1908 में बना है. इससे पहले 1904-05 में बड़े पैमाने पर भूमि का अधिग्रहण हुआ था. वेसे लोगों के पास जमीन नहीं है. उनको भी सरकार स्थानीयता से वंचित नहीं रख सकती है. स्थानीयता केवल नौकरी से जुड़ा मुद्दा नहीं है. यह शिक्षा के लिए भी जरूरी है. हाल में जो शिक्षकों को नौकरी लगी है. उसमें 75 फीसदी स्थानीय लोगों को रखा गया है. वनरक्षी बहाली में भी सरकार ऐसी शर्त रखेगी, जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा. बिहार के समय की स्थानीय नीति लागू हो : मथुरा झामुमो के मथुरा महतो ने कहा कि स्थानीयता नीति नहीं होने कारण यहां के लोग नौकरी से वंचित हो रहे हैं. दूसरे राज्यों में यहां के युवकों को नौकरी नहीं मिल रही है. सरकार को बिहार के समय की स्थानीय नीति ही लागू करनी चाहिए. विवाद में नहीं पड़ते हुए इसकी जल्द घोषणा करनी चाहिए. अंतिम सर्वे को बनायें आधार : बंधु बंधु तिर्की ने कहा कि अंतिम सर्वे को स्थानीयता का आधार बनाया जाना चाहिए. सर्वे में नाम नहीं होने पर पीढि़यों को स्थानीय भाषा की जानकारी होनी चाहिए. सर्वे में नाम नहीं होने पर 1951 के मतदाता सूची को आधार बनाया जा सकता है. ग्रेड तीन और चार की नियुक्ति जिला कैडर पर होनी चाहिए. नियुक्ति में जिलों में बोली जानी वाली स्थानीय भाषा की जानकारी होनी चाहिए. नियुक्ति प्रक्रिया में एक मूलवासी तथा एक आदिवासी अधिकारी को रखा जाना चाहिए. सभी नहीं हो सकते खुश : प्रदीप झाविमो के प्रदीप यादव ने कहा कि 2001 में झारखंड सरकार ने बिहार की स्थानीय नीति अंगीकृत की थी. इसकी अधिसूचना 22 सितंबर 2001 को जारी हुई थी. इसे मुद्दा बना दिया गया. सरकार ने अन्य एक्ट की तरह बिहार से इसे अंगीकृत किया था. सरकार की मंशा गलत नहीं थी. आज स्थानीयता पर ठोस काम नहीं हो रहा है. सरकार गंभीर है, तो इसकी घोषणा करनी चाहिए. किसी भी नीति से शत-प्रतिशत लोगों को खुश नहीं किया जा सकता है. मूलवासी-आदिवासी को प्राथमिकता मिले : विनोद सिंह माले के विनोद सिंह ने कहा है कि नौकरी के लिए नीति और नियम की जरूरत नहीं है. सोच की जरूरत है. प्रथम और द्वितीय जेपीएससी में दो तिहाई लोग दूसरे राज्यों के चुने गये. यहां हम तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए लड़ रहे हैं. सरकार को यह तय करना चाहिए कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में मूलवासी और आदिवासी को प्राथमिकता मिले. राज्य के छह सांसद दूसरे राज्यों के : सौरव कांग्रेस के सौरव नारायण सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों का आज तक शोषण हो रहा है. हम भाषा के आधार पर किसी को जॉब की गारंटी नहीं दे सकते हैं. झारखंड के लोगों का राजनीतिक शोषण हो रहा है. राज्य के छह सांसद दूसरे राज्यों के हैं. राजनीतिक दल बाहरी लोगों से प्रभावित हैं. यहां स्थानीय नीति कभी नहीं बनने वाली है. भेदभाव करने की कोशिश : बड़कुंवर भाजपा के बड़कुवंर गगरई ने कहा कि प्रारूप में भेदभाव करने की कोशिश की गयी है. किसी भी सरकार में स्थानीयता नीति लागू करने की हिम्मत नहीं है. जानती है कि सरकार गिर जायेगी. वर्तमान सरकार भी राजनीति कर रही है. सरकार क ो चाहिए कि जब तक स्थानीय नीति लागू नहीं हो, शिक्षकों की बहाली नहीं कराये. झारखंड में रहनेवाले सभी झारखंडी हैं. 1932 का सर्वे हो आधार : जगरनाथ महतो झामुमो के जगरनाथ महतो ने कहा कि 1932 के सर्वे के मुताबिक स्थानीयता तय होनी चाहिए. स्थानीय नीति नहीं होने के कारण यहां के लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है. इस कारण यहां के लोगों ने राइफल उठा लिया है. अधिकार छिनेगा तो पारसनाथ, झुमरा, सारंडा में गोली की आवाज नहीं रुकने वाली है. दीपक विरुआ ने भी अंतिम सर्वे सटेलमेंट को स्थानीयता का आधार बनाने की मांग की. जो यहां जनमा, वह झारखंडी : रघुवर दास भाजपा के रघुवर दास ने कहा कि स्थानीय नीति बनाने की मंशा सरकार की नहीं है. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में झारखंड के लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. वैसे लोगों को स्थानीय माना जाना चाहिए, जिनका जन्म झारखंड में हुआ हो. जिनके माता-पिता 15 साल से झारखंड में रह रहे हों, उनके बच्चों को भी झारखंडी माना जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बने नीति : पासवानराजद के जनार्दन पासवान ने कहा कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड की भी स्थानीय नीति होनी चाहिए. स्थानीय नीति नहीं होने से दूसरे राज्यों के लोगों को लाभ मिल रहा है. झाविमो के सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि कमेटी द्वारा तय प्रारूप इस मुद्दे को उलझाने के लिए है. झामुमो के साइमन मरांडी ने एसपीटी और सीएनटी एक्ट के आधार पर स्थानीयता तय करने की मांग की.
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स्थानीयता गंभीर मुद्दा, जनता पर नहीं थोप सकते
स्थानीयता पर विशेष बहस में बोले मुख्यमंत्रीवरीय संवाददाता, रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि स्थानीयता एक गंभीर मुद्दा है. इसे हम जनता पर थोप नहीं सकते हैं. एक प्रक्रिया के तहत सबकी सहमति से इसे तैयार किया जा रहा है. 14 साल में पहली बार किसी सरकार ने इतनी गंभीरता से स्थानीयता नीति […]
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