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निगम ने मेंटेनेंस के लिए ऐसी शर्त रखी कि चुनिंदा कंपनी को ही मिल सके काम

रांची : वेंडर मार्केट के मेंटेनेंस का काम रांची नगर निगम ने सिंघल इंटरप्राइजेज को दिया है. इस काम के एवज में नगर निगम हर माह सिंघल इंटरप्राइजेज को 15.50 लाख रुपये का भुगतान करता है. वार्ड पार्षद इस पूरे प्रकरण की जांच करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं. […]

रांची : वेंडर मार्केट के मेंटेनेंस का काम रांची नगर निगम ने सिंघल इंटरप्राइजेज को दिया है. इस काम के एवज में नगर निगम हर माह सिंघल इंटरप्राइजेज को 15.50 लाख रुपये का भुगतान करता है. वार्ड पार्षद इस पूरे प्रकरण की जांच करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं. कंपनी को ऊंची दर पर काम सौंपे जाने को लेकर सोमवार को पार्षदों की बैठक नगर निगम में हुई.

इसमें पार्षदों ने कहा कि मेंटेनेंस का काम सिंघल इंटरप्राइजेज को मिले, इसके लिए निगम ने ऐसी शर्त रखी थी कि दूसरा कोई उसे पूरा ही नहीं कर सके. पार्षदों ने निगम के अधिकारियों पर कंपनी के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप लगाया है. पार्षद अरुण झा ने इस संबंध में अपर नगर आयुक्त को पत्र लिखा है.

7.50 करोड़ का मांगा गया था सालाना टर्न ओवर

पार्षदों ने कहा कि मार्केट के मेंटेनेंस के लिए निगम द्वारा टेंडर निकाला गया था. इस टेंडर में यह शर्त रखी गयी थी कि इस मार्केट के मेंटेनेंस का काम उसी एजेंसी को सौंपा जायेगा, जिसका सालाना टर्न ओवर कम से कम 7.50 करोड़ का हो. यह टर्न ओवर तीन साल के लिए होना चाहिए. पार्षदों ने इस शर्त पर ही सवाल उठाया कि आखिर जिस मार्केट की देखरेख करने के लिए 10 सिक्यूरिटी गार्ड व 10 सफाई कर्मचारी की जरूरत है. उसके लिए 7.50 करोड़ का टर्न ओवर क्यों मांगा गया.

मेयर-डिप्टी मेयर की चुप्पी खतरनाक

पार्षदों ने कहा कि इस मामले में मेयर व डिप्टी मेयर की चुप्पी खतरनाक है. पार्षदों ने कहा कि अधिकारी आज हैं, कल चले जायेंगे. लेकिन मेयर-डिप्टी मेयर को यहीं रहना है.

सिंघल इंटरप्राइजेज ने ही कराया था मार्केट का निर्माण

पार्षदों ने कहा कहा कि वेंडर मार्केट का निर्माण छह माह पहले हुआ है. उसमें लगाये गये सारे सामान अभी भी गारंटी पीरियड में हैं, तो फिर इतनी ऊंची दर पर सिंघल इंटरप्राइजेज को यह काम क्यों सौंपा गया. सिंघल इंटरप्राइजेज ने ही वेंडर मार्केट का निर्माण करवाया है. उसे ही मेंटेनेंस का काम दिया गया है. इससे यह प्रतीत होता है कि या तो मार्केट का निर्माण काफी घटिया तरीके से हुआ है या इस कंपनी के अधिकारियों का मधुर संबंध निगम के अधिकारियों से है.

दो मार्च को टेंडर कमेटी की बैठक में यह निर्णय होता है कि सिंघल इंटरप्राइजेज को यह काम सौंपा जाना चाहिए. इसी दिन कंपनी को पत्र रिसीव भी करा दिया जाता है. तीन मार्च को कंपनी नेगोशियेशन की बैठक में भाग लेती है. सिर्फ 24 घंटे में सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है. पार्षदों ने कहा कि आग्रह के बाद भी टेंडर की कॉपी हिंदी में उपलब्ध नहीं करायी गयी

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