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प्लास्टिक के खिलाफ पर्यटन स्थलों पर चलेगा अभियान, झींकपानी सीमेंट फैक्ट्री में वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल आरंभ
रांची : राज्य के पर्यटन स्थलों को प्लास्टिक फ्री जोन के तौर चिह्नित किया जायेगा. अभियान के तहत हुंडरू जलप्रपात पर डिस्प्ले बोर्ड लगा कर ऐसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा जा रहा है. वहीं, अन्य जगहों जहां पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं, वहां इसे रोकने के लिए लोगों में बड़े पैमाने […]
रांची : राज्य के पर्यटन स्थलों को प्लास्टिक फ्री जोन के तौर चिह्नित किया जायेगा. अभियान के तहत हुंडरू जलप्रपात पर डिस्प्ले बोर्ड लगा कर ऐसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा जा रहा है. वहीं, अन्य जगहों जहां पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं, वहां इसे रोकने के लिए लोगों में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलायी जायेगी. इसमें स्थानीय लोगों का सहयोग भी लिया जायेगा.
नन बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक प्रोडक्शन, स्टोरेज, बिक्री, वितरण और इस्तेमाल में कमी करने के लिए तीन स्तर अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर वर्गीकृत किया गया है. पर्यटन विभाग के उपसचिव विद्यानंद शर्मा ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर सरकार के कैंपेन का असर दिखना शुरू हो गया है. पर्यटन स्थलों पर कारोबार से जुड़े लोग सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल की जगह दूसरा विकल्प तलाश रहे हैं.
जागरूकता अभियान चलेगा : पर्यटन विभाग स्थानीय समुदाय की मदद से वहां पर्यावरण अनुकूल चीजों के उपयोग को बढ़ावा देगा. इसमें कचरे को अलग-अलग करना, ताकि प्लास्टिक लैंडफिल में न फेंका जाये. पानी के लिए स्टील, तांबे, कांच की बोतलों के इस्तेमाल को बढ़ावा, एक बार इस्तेमाल किये जाने वाले प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करने में कमी लाने के लिए खरीदारी के लिए जूट या कपड़े के झोले का उपयोग, मिट्टी के बर्तनों और पत्तों के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल हैं.
अंतरराष्ट्रीय महत्व के पर्यटन स्थल
त्रिकुट पहाड़, तपोवन, मलुटी मंदिर, मसानजोर डैम, छिन्नमस्तिका मंदिर, पतरातू डैम, पारसनाथ, मधुवन, इटखोरी, मैथन डैम, नेतरहाट, दशम, हुंडरू, जोन्हा जलप्रपात, बेतला नेशनल पार्क, चांडिल डैम.
राष्ट्रीय पर्यटन स्थल
तपोवन मेगालिथ साइट, बड़कागांव, तेनुघाट, गेतलसूद, पतरातू घाटी.
राज्यस्तरीय पर्यटन स्थल
हटिया डैम, कांके डैम, टैगोर हिल, साईं मंदिर-लतरातू,
झींकपानी सीमेंट फैक्ट्री में वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल आरंभ
रांची : झींकपानी स्थित सीमेंट फैक्ट्री में वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल होने लगा है. 10 दिनों से यहां ईंधन और क्लींकर के रूप में वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी ने बताया कि राज्य सरकार का प्रयास है कि यहां ऐसी फैक्ट्रियां लगें जो प्लास्टिक वेस्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करती हों. इसी कड़ी में झींकपानी स्थित सीमेंट फैक्ट्री में वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल शुरू हुआ है.
अभी प्लास्टिक कबाड़ या नगर निगमों से लिये जा रहे हैं. झींकपानी में नयी तकनीक से वेस्ट प्लास्टिक का क्लींकर बनाकर सीमेंट में इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले प्लास्टिक को 400 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक के तापमान पर गलाया जाता है. इसके बाद इसका इस्तेमाल वैकल्पिक ईंधन और क्लींकर के रूप में किया जाता है.
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