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रांची : टेंडर से नहीं बन रही बात, सीटी स्कैन मशीन के लिए अब खुद कंपनी से संपर्क करेगा रिम्स

चार माह से खराब है सीटी स्कैन मशीन, हेल्थ मैप पर निर्भर हैं मरीज रांची : रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग की सीटी स्कैन मशीन चार महीने से खराब है. कई बार टेंडर निकाले जाने बावजूद मशीन की खरीद नहीं हो पा रही है. हर बार सिंगल टेंडर होने की वजह से टेंडर रद्द करना पड़ […]

चार माह से खराब है सीटी स्कैन मशीन, हेल्थ मैप पर निर्भर हैं मरीज

रांची : रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग की सीटी स्कैन मशीन चार महीने से खराब है. कई बार टेंडर निकाले जाने बावजूद मशीन की खरीद नहीं हो पा रही है. हर बार सिंगल टेंडर होने की वजह से टेंडर रद्द करना पड़ रहा है. इधर, मरीज निजी एजेंसी हेल्थ मैप में जांच कराने को विवश हैं, जहां उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसे देखते हुए रिम्स प्रबंधन ने मशीन की खरीद की रणनीति ही बदल दी है.
मिली जानकारी के अनुसार अब रिम्स प्रबंधन सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध करानेवाली कंपनी से सीधे संपर्क करेगा. पूर्व में हुई शाषी परिषद की बैठक में इस प्रक्रिया को मंजूरी भी मिल चुकी है. उपयुक्त कंपनी की तलाश के लिए रिम्स प्रबंधन देश के बड़े सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों से संपर्क कर रहा है.
उनके यहां सीटी स्कैन मशीन (128 स्लाइस) उपलब्ध करानेवाली कंपनी की जानकारी मांगी जा रही है. अस्पतालों से मिली आपूर्तिकर्ता कंपनियों की सूची में से बेहतर कोटेशन वाली कंपनी से रिम्स प्रबंधन सीधे संपर्क कर मशीन उपलब्ध कराने का आग्रह करेगा.

दूसरे सरकारी संस्थान को सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध करानेवाली कंपनी तलाश रहा प्रबंधन

जांच की दर में हो सकता परिवर्तन
रिम्स में नयी सीटी स्कैन मशीन आने के बाद जांच के दर में परिवर्तन किया जा सकता है. जांच दी कुछ बढ़ सकती है. हालांकि, यह निजी जांच घर से बहुत सस्ता होगा. एंजियोग्राफी का दर भी निजी जांच घर से आधे दर पर होगा. इसके लिए सरकार से राय ली जायेगी.
128 स्लाइस वाली मशीन ही क्यों?
रिम्स प्रबंधन ने इस बार ‘128 स्लाइस’ कंफीग्रेशन वाली सिटी स्कैन मशीन खरीदने की योजना बनायी है. दरअसल इस अत्याधुनिक मशीन में सामान्य सीटी स्कैन के अलावा हार्ट के मरीजों की स्क्रीनिंग भी आसानी से हो सकती है.
इस मशीन में सीटी एंजियोग्राफी की सुविधा उपलब्ध है. इससे जांच कराने के बाद मरीज को एंजियोग्राफी जांच के लिए रेडियल या फीमर एंजियोग्राफी का सहारा नहीं लेना पड़ेगा. बिना नस में कैथेर डाले ही मरीज के हार्ट की जांच हो जायेगी.
मेडॉल व हेल्थ मैप को अॉडिट के बाद ही भुगतान
रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार ने कहा है कि रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी जांच के लिए पीपीपी मोड में कार्यरत कंपनियों मेडॉल व हेल्थ मैप को अभी आंशिक भुगतान किया जायेगा. उनके बिल के एवज में पूर्ण भुगतान अॉडिट के बाद ही होगा.
गौरतलब है कि उक्त दोनों कंपनियों का 20 करोड़ से अधिक बिल बकाया है. लेकिन, जांच संबंधी विभिन्न आरोपों के कारण स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने निदेशक को निर्देश दिया है कि दोनों कंपनियों को उनके बिल का भुगतान अॉडिट के बाद ही किया जाये. इधर, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने निदेशक रिम्स को पत्र लिख कर मेडॉल को भुगतान करने को कहा है.
उन्होंने इस संबंध में मेडॉल प्रबंधन द्वारा उन्हें दिये गये आवेदन के आधार पर कहा है कि जिन बिलों की समीक्षा व जांच रिम्स की जांच कमेटी ने कर ली है, उसका भुगतान उसे कर दिया जाये. इधर, विभागीय निर्देश के आलोक में रिम्स निदेशक नियम सम्मत कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
सीटी स्कैन की नयी मशीन की खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन इसमें भी समय लगेगा. हम वैसे संस्थान की तालाश कर रहे हैं, जहां मशीन की खरीदारी हुई है.
डॉ समीर टोप्पो, विभागाध्यक्ष, रेडियोलॉजी
बायोकेमिस्ट्री विभाग में तीन साल से बेकार पड़ी है 70 लाख की मशीन
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग में करीब 70 लाख की ‘एटॉमिक अब्जर्वेशन स्पेक्ट्रो फोटोमीटर मशीन’ तीन साल से बेकार पड़ी है. इस वजह से मरीजों के शरीर में मौजूद ट्रेस एलिमेंट (सूक्ष्म तत्वों) की जांच नहीं हो पा रही है. वहीं, पीजी के विद्यार्थी शोध भी नहीं कर पा रहे हैं.
बायोकेमिस्ट्री विभाग की डिमांड पर वर्ष 2016 में एटॉमिक अब्जर्वेशन स्पेक्ट्रो फोटोमीटर मशीन खरीदी गयी थी. तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ केके सिन्हा ने अपने विभाग के फैकल्टी को इस मशीन से जांच करने का प्रशिक्षण भी दिलाया था. लेकिन, उनके रिटायर होने के बाद से ही इस मशीन का उपयोग बंद है.
जानकारी के अनुसार इस मशीन से मरीज के शरीर में पहुंचने वाले सूक्ष्म तत्व (सोडियम, पोटैशियम, जिंक, मैग्नीज आदि) की मात्रा की जांच की जाती है. साथ ही यह भी पता चल जाता है कि सूक्ष्म तत्व की कमी या अधिकता से मरीज के शरीर पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है. इससे मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों को मरीज के इलाज में काफी सहूलियत होती है.
डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद उपयोगी
विशेषज्ञों का कहना है कि एटॉमिक अब्जर्वेशन स्पेक्ट्रो फोटोमीटर मशीन से डायबिटीज के मरीजों के इलाज में काफी कारगर रिपोर्ट तैयार की जा सकती है. यह पता लगाना आसान हो जाता है कि करैला और जामुन में मौजूद कौन-कौन से सूक्ष्म तत्व शरीर में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों में कौन से सूक्ष्म तत्व हैं, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं.
एटॉमिक अब्जर्वेशन स्पेक्ट्रो फोटोमीटर मशीन के बेकार पड़े होने की जानकारी मिली है. इसके उपयोग की योजना बनायी जा रही है. इस मशीन को अगले सत्र से पीएसएम विभाग के शोध कार्य से जोड़ा जायेगा. इससे पीजी स्टूडेंट को लाभ होगा.
डॉ विवेक कश्यप, अधीक्षक रिम्स

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