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रांची : आठ माह से रुका है सुरक्षा एजेंसी चयन का मामला

रांची : रिनपास में सुरक्षा एजेंसी चयन का मामला आठ माह से लटका हुआ है. एजेंसी चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी कर लेने के बाद भी अंतिम आदेश जारी नहीं हो सका है. इससे नाराज स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने रिनपास के निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उन्होंने […]

रांची : रिनपास में सुरक्षा एजेंसी चयन का मामला आठ माह से लटका हुआ है. एजेंसी चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी कर लेने के बाद भी अंतिम आदेश जारी नहीं हो सका है. इससे नाराज स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने रिनपास के निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
उन्होंने निदेशक को लिखा है कि आपके द्वारा सुरक्षा संबंधी सेवा प्राप्त करने के लिए आमंत्रित निविदा आठ माह से लटकाकर रखी गयी है, ताकि वर्तमान में कार्यरत एजेंसी से पूर्व की दर पर ही सुरक्षा सेवा प्राप्त करने का क्रम रिनपास द्वारा अवैध रूप से जारी रखा जाये. डॉ कुलकर्णी ने निदेशक को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि किसी एजेंसी को तकनीकी रूप से योग्य घोषित करने के बाद फिर तकनीकी बिंदु उठाने का क्या औचित्य है?
समिति की मंशा पर ही सवाल उठाया : स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने एजेंसी चयन के लिए तय समिति की मंशा पर ही सवाल उठाया है. असल में रिनपास में सुरक्षा सेवा प्रदान करने के लिए तीन एजेंसियों ने आवेदन किया था. इसमें फ्रंट लाइन (एनसीआर) बिजनेस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने सेमी स्किल मजदूर के लिए 11861.10 तथा स्किल के लिए 15768, एसआइएस ने 9661 तथा 12753 तथा इंटेलिजेंस सिक्यूरिटी इंडिया ने 10178 तथा 13146 रुपये दर डाली थी.
रिनपास प्रबंधन ने श्रम विभाग से न्यूनतम मजदूरी के संबंध में जानकारी मांगी थी. उसने बताया कि सेमी स्किल की न्यूनतम मजदूरी 7808.73 तथा स्किल की 10381.29 है. इसके बाद रिनपास ने पैनल अधिवक्ता की राय ली. इस पर सचिव ने सवाल उठाते हुए कहा कि पैनल अधिवक्ता निविदा मामले में राय नहीं दे सकते हैं.
यह काम विभागीय स्तर से महाधिवक्ता के माध्यम से होना चाहिए. निविदा निष्पादन के लिए गठित उप समिति ने एसआइएस और फ्रंट लाइन को तकनीकी रूप से गलत बताते हुए इंटेलिजेंस सिक्यूरिटी ऑफ इंडिया को टेंडर देने का आग्रह सचिव से किया था. इसी पर सचिव ने सवाल उठाते हुए स्पष्टीकरण पूछा है. कहा पहले तकनीकी बिड खुल चुका था, तो दोबारा इस पर सवाल नहीं होना चाहिए था. इससे समिति की मंशा पर सवाल उठता है.

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