रांची : सरकार ने को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के व्हिसल ब्लोअर सुशील कुमार का वेतन बंद कर रखा है. वेतन बंद करने के लिए किसी प्रकार के आरोप के बदले ट्रांसफर-पोस्टिंग का सहारा लिया गया है. को-ऑपरेटिव बैंक में हुई गड़बड़ी की शिकायत करने के तीन सप्ताह बाद उन्हें एेसे पद पर पदस्थापित कर दिया गया जो वेतन के लिए सरकार से स्वीकृत ही नहीं है. इसलिए 11 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है.
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को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के व्हिसल ब्लोअर का वेतन बंद
रांची : सरकार ने को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के व्हिसल ब्लोअर सुशील कुमार का वेतन बंद कर रखा है. वेतन बंद करने के लिए किसी प्रकार के आरोप के बदले ट्रांसफर-पोस्टिंग का सहारा लिया गया है. को-ऑपरेटिव बैंक में हुई गड़बड़ी की शिकायत करने के तीन सप्ताह बाद उन्हें एेसे पद पर पदस्थापित कर दिया गया […]
सहकारिता सेवा के अधिकारी सुशील कुमार को सरकार ने 21 जून 2018 को आदेश जारी कर झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव लैक मार्केटिंग एंड प्रोक्योरमेंट फेडरेशन (झासकोलैम्फ) के प्रबंध निदेशक के पद पर पदस्थापित किया.
साथ ही को-ऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक और झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा. यह बात उल्लेखनीय है कि इन तीन पदों में से सिर्फ प्रबंध निदेशक झासकोलैम्फ का पद ही सरकार के स्तर से वेतन के लिए स्वीकृत है.
इसलिए बैंक के महाप्रबंधक और स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक के पद पर वेतन नहीं मिलता है. सुशील कुमार ने 21 जून 2018 को जारी आदेश के आलोक में तीनों पदों पर अपना योगदान दिया. बैंक के महाप्रबंधक के रूप में काम करने के दौरान उन्हें वित्तीय अनियमितता के अलावा मरम्मत और खरीद के नाम पर गड़बड़ी से जुड़े सबूत मिले. इसके बाद उन्होंने दो जुलाई को रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव को एक पत्र लिखा.
इसमें उन्होंने पकड़ में आयी गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए बड़े पैमाने पर जांच कराने का अनुरोध किया. रजिस्ट्रार ने इसे विभागीय सचिव के पास भेजा. सचिव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सात जुलाई को विस्तृत जांच का आदेश दिया. साथ ही समिति का गठन किया. दूसरी तरफ 30 जुलाई को सुशील कुमार के तबादले का आदेश जारी हुआ.
इसमें बहुत ही चालाकी से सुशील कुमार को झासकोलैम्फ के प्रबंध निदेशक के पद से तबादला करते हुए झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक के पद पर पदस्थापित किया. साथ ही को-ऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक को-ऑपरेटिव बैंक के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा. जबकि यह दोनों ही पद पहले से उनके पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में था. दोनों पद वेतन के लिए स्वीकृत नहीं है. इसलिए उन्हें जुलाई 2018 के बाद से वेतन नहीं मिला है.
वेतन बंद करने के लिए किसी आरोप के बदले ट्रांसफर पोस्टिंग का सहारा लिया गया
सिर्फ एमडी झासकोलैम्फ का पद ही वेतन के लिए स्वीकृत है
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