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रांची : केसीबी कॉलेज बेड़ो के तीन लेक्चरर्स की फर्जी डिग्री मामले में जांच रिपोर्ट पर नहीं हुई कार्रवाई

रांची : रांची विश्वविद्यालय के नवांगीभूत कॉलेज में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मांडर कॉलेज मांडर के तीन शिक्षकों द्वारा फर्जी डिग्री व तथ्यों को छिपाकर नियुक्त होने के मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई है कि केसीबी कॉलेज […]

रांची : रांची विश्वविद्यालय के नवांगीभूत कॉलेज में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
मांडर कॉलेज मांडर के तीन शिक्षकों द्वारा फर्जी डिग्री व तथ्यों को छिपाकर नियुक्त होने के मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई है कि केसीबी कॉलेज बेड़ाे के भी तीन शिक्षकों के डिग्री फर्जी होने का मामला विवि में इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है.
कॉलेज के तीन शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने की शिकायत वर्ष 2008-09 में विश्वविद्यालय को मिली थी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी भी गठित की थी. कमेटी विवि के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ सीएसपी लुगून की अध्यक्षता में गठित की गयी थी.
इसमें विवि के पूर्व प्रॉक्टर एक्यू जिलानी भी शामिल थे. कमेटी ने मामले की जांच कर रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी थी. विश्वविद्यालय द्वारा आज तक उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक भी नहीं किया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार कमेटी ने तीन में से एक शिक्षक के स्नातकोत्तर की डिग्री को जांच में गलत बताया था, जबकि एक शिक्षक की डिग्री को भी संदेहास्पद बताया गया था.
कमेटी के सदस्य ने जो बताया : कमेटी के सदस्य ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देश के अनुरूप पूरे मामले की जांच की थी. रिपोर्ट भी विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी थी. लेकिन इस पर क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने बताया कि कमेटी ने जांच के दौरान जहां एक शिक्षक की डिग्री फर्जी पायी थी, तो एक की डिग्री संदेहास्पद बतायी थी.
शिक्षकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं
रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत फिलहाल चार नवांगीभूत कॉलेज हैं. इन कॉलेजों का वर्ष 1986 में सरकारीकरण हुआ. इसके बाद कॉलेज के शिक्षकों की सेवा रांची विवि द्वारा अधिग्रहित की गयी. रांची विवि द्वारा सेवा अधिग्रहण के बाद आज तक इन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं किया गया. इसी वजह से समय-समय पर शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी होने का मामला प्रकाश में आता रहता है.

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