नेशनल हाइवे 23 और 75 का मामला
रांची : केंद्र सरकार ने एनएच 23 और 75 के चौड़ीकरण से इनकार कर दिया है. सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र के इस फैसले को झारखंड की हितों के विपरीत किया गया फैसला करार दिया है. उन्होंने इस मामले में केंद्र को पत्र लिखा फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है.
झारखंड ने ओड़िशा और उत्तर प्रदेश तक पहुंच बनाने के लिए एनएच-23 और एनएच-75 के चौड़ीकरण का प्रस्ताव केंद्र को दिया था. वर्ष 2010 में विचार-विमर्श के बाद केंद्र ने एनएच-23 (रांची-गुमला-ओड़िशा सीमा) और एनएच-75( रांची-गढ़वा-उत्तर प्रदेश सीमा) को एनएचडीपी-4 में शामिल किया था. इन सड़कों के दोनों किनारों को बढ़ा कर उसे चौड़ा करना था. इसमें इंजीनियरिंग प्रोकियोरमेंट कंस्ट्रक्शन (इपीसी) पद्धति का इस इस्तेमाल करना था.
इस पद्धति के तहत इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन कंपनी मिल कर सड़क का डिजाइन और प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाती हैं. इसके बाद इंजीनियरों के माध्यम से उपलब्ध सामग्री और उपकरणों के सहारे सड़क के निर्माण किया जाता हैं. इन सड़कों को एनएचडीपी-चार में शामिल करते समय ही नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) द्वारा कई तरह की आपत्तियां की जाती थीं और जमीन की उपलब्धता के सिलसिले में ऐसे सवाल उठाये जाते रहे हैं, जो वास्तविकता से परे हैं.
एनएच-23 के मामले में एनएचएआइ द्वारा यह कहा जाता रहा है कि यहां फॉरेस्ट क्लीयरेंस और डायवर्सन बनाने के लिए जमीन की समस्या है. हालांकि इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए 98 प्रतिशत जमीन उपलब्ध है. एनएच-75 के मामले में भी एनएचएआइ द्वारा ऐसा ही कहा जाता रहा है.
हालांकि इसके लिए 62 प्रतिशत जमीन उपलब्ध है. शेष जमीन के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई जारी है. इन दोनों सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान डायवर्सन की भी कोई समस्या नहीं है.