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मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना : पुल योजना के पैसे भी फंसे, नहीं हो रही निकासी

अक्तूबर से ही ठेकेदारों को नहीं मिल रहा पैसा, काम ठप होने के कगार पर रांची : मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना का पैसा भी फंसा हुआ है. इसकी निकासी ट्रेजरी से नहीं हो पा रही है. ऐसे में ठेकेदारों को काम कराने के एवज में मिलनेवाली राशि फंस गयी है. अक्तूबर से यही स्थिति बरकरार […]

अक्तूबर से ही ठेकेदारों को नहीं मिल रहा पैसा, काम ठप होने के कगार पर

रांची : मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना का पैसा भी फंसा हुआ है. इसकी निकासी ट्रेजरी से नहीं हो पा रही है. ऐसे में ठेकेदारों को काम कराने के एवज में मिलनेवाली राशि फंस गयी है. अक्तूबर से यही स्थिति बरकरार है. ऐसे में अधिकतर पुल योजनाअों में पैसे की कमी हो गयी है. इस वजह से काम ठप होने के कगार पर है.

इस बारे में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अब तक जीएसटी हेड नहीं बना है. इससे ठेकेदारों से कटनेवाले जीएसटी का पैसा किस मद में जायेगा, यह तय नहीं हुआ है. जीएसटी हेड तय हो जाने के बाद ठेकेदारों का भुगतान होने लगेगा. वहीं, ठेकेदारों का कहना है कि अगर राशि जल्द रिलीज नहीं हुई, तो काम बंद करना होगा. हालांकि, विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष के कुल 592 करोड़ के बजट की तुलना में करीब 348 करोड़ रुपये का आवंटन कर दिया था. इसमें से राशि निकासी भी हो गयी है, जो ठेकेदार को मिल गये हैं, लेकिन बड़ी राशि अब भी ठेकेदारों को नहीं मिली है.

योजना से गांवों में कराया जाता है पुल-पुलिया का निर्माण : जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत गांवों में पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाता है. विधायकों की अनुशंसा पर उनके विधानसभा क्षेत्रों में पुल-पुलिया का निर्माण होता है. ग्रामीण कार्य विभाग के अधीन ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के माध्यम से गांवों में पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाता है. ठेकेदारों का कहना कि अक्तूबर से लेकर मार्च तक काम करने का समय रहता है, लेकिन राशि मिलने में विलंब होने से योजनाएं प्रभावित होंगी.

कर्ज लेकर कर रहे काम : इंजीनियरों और ठेकेदारों का कहना है कि की ठेकेदार कर्ज लेकर काम करा रहे हैं. शुरू में भुगतान नहीं होने की वजह से वे राशि मिलने की आस में काम खींचते रहे. इसके लिए मेटेरियल सप्लायरों से लेकर डीजल व प्लांट का बकाया रखा, लेकिन पैसे मिलने में विलंब होता रहा और आज तक पैसा नहीं मिला. इस वजह से बड़ी संख्या में ठेकेदार कर्ज में चले गये हैं.

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