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रांची : खान विभाग ने 873 करोड़ रुपये के बकायेदार को दिया डीलर लाइसेंस
सुनील चौधरी रांची : खान विभाग ने ओड़िशा मैंगनीज एंड मिनरल्स (ओएंडएम) को मिनरल डिलर लाइसेंस जारी किया है. जबकि कंपनी पर दो मामलों में खान विभाग का 873 करोड़ रुपये बकाया है. कंपनी के निदेशक निर्मल कुमार अग्रवाल ने गलत एफिडेविट दायर कर इसे हासिल किया है. मामले की जानकारी मिलने के बाद खान […]
सुनील चौधरी
रांची : खान विभाग ने ओड़िशा मैंगनीज एंड मिनरल्स (ओएंडएम) को मिनरल डिलर लाइसेंस जारी किया है. जबकि कंपनी पर दो मामलों में खान विभाग का 873 करोड़ रुपये बकाया है. कंपनी के निदेशक निर्मल कुमार अग्रवाल ने गलत एफिडेविट दायर कर इसे हासिल किया है.
मामले की जानकारी मिलने के बाद खान सचिव अबु बकर सिद्दीकी ने इसकी जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है. पूछे जाने पर उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि शपथ पत्र में बकाये की बात छिपायी गयी है. जबकि कंपनी पर शाह कमीशन के मामले में सेकेंड 780 करोड़ का फाइन बकाया है. वहीं एक्सेस प्रोडक्शन के मामले में 93 करोड़ रुपये बकाया है. लाइसेंस लेने के पूर्व इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए थी, जो नहीं दी गयी. लाइसेंस देने की प्रक्रिया अॉनलाइन है, जिसमें कंपनी को केवल शपथ पत्र देना पड़ता है. इस मामले में शपथ पत्र में ही गलत जानकारी दी गयी है.
क्या है मामला : ओएंडएम पर दो मामलों में 873 करोड़ रुपये का फाइन किया गया है.कंपनी द्वारा अभी तक यह राशि नहीं चुकायी गयी है. इसके बावजूद कंपनी द्वारा मिनरल डीलर लाइसेंस के लिए दिये गये शपथ पत्र में इस बात की जानकारी छिपायी गयी. कंपनी के निदेशक निर्मल कुमार अग्रवाल द्वारा 12 मई 2018 को ओड़िशा मैंगनीज एंड मिनरल, कांड्रा चौक रोड, कांड्रा सरायकेला-खरसावां के लिए मिनरल डीलर लाइसेंस के लिए अॉनलाइन आवेदन दिया गया था. इस लाइसेंस के माध्यम से विभिन्न कंपनियों से खनिजों की खरीदारी की जा सकती है. कंपनी द्वारा दिया गया है कि खेतान मिनसेम, रुंगटा माइन, देवका भाई बेलजी व अन्य से खनिजों की खरीदारी की जायेगी. इसके तहत बेनटोनाइट, कोयला व अायरन ओर की खरीदारी के लिए लाइसेंस की मांग की गयी. इसके लिए एक शपथ पत्र भी देना पड़ता है.
जिसमें आवेदनकर्त्ता निर्मल कुमार अग्रवाल द्वारा दिया गया है कि उनके नाम से झारखंड या कहीं भी कोई माइनिंग ड्यूज नहीं है. जबकि आवेदन कंपनी के लाइसेंस के लिए दिया गया था. खान विभाग द्वारा लाइसेंस कंपनी के नाम से दिया गया और शपथ पत्र व्यक्तिगत नाम से लिया गया. यह गड़बड़ी पकड़ में आते ही विभाग के अधिकारी हैरत में पड़ गये हैं. सचिव ने एक-दो दिनों में जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
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