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रांची़ : बाढ़ पीड़ितों के लिए 11 हजार किग्रा राहत सामग्री मिली
रांची़ : केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए जिला प्रशासन को विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों से प्राप्त हुई 11000 किलोग्राम राहत सामग्री में से चार हजार किलोग्राम राहत सामग्री भेज दी गयी है. शेष सात हजार किलोग्राम राहत सामग्री दूसरे दिन भेजी जायेगी. स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जिला प्रशासन को 11000 किलोग्राम राहत सामग्री प्राप्त हुई […]
रांची़ : केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए जिला प्रशासन को विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों से प्राप्त हुई 11000 किलोग्राम राहत सामग्री में से चार हजार किलोग्राम राहत सामग्री भेज दी गयी है. शेष सात हजार किलोग्राम राहत सामग्री दूसरे दिन भेजी जायेगी. स्वयंसेवी संगठनों द्वारा जिला प्रशासन को 11000 किलोग्राम राहत सामग्री प्राप्त हुई थी. राहत सामग्री एलेप्पी ट्रेन से केरल भेजी गयी. वहीं, कुछ दिन पहले भी जिला प्रशासन की ओर से राहत सामग्री भेजी गयी थी.
इसमें 12 कार्टून एवं 10 बैग शामिल थे. इसके अलावा बीआइटी मेसरा के विद्यार्थियों द्वारा भी बाढ़ पीड़ितों के लिए 31 कार्टून एवं एक बैग सामान भेजा गया है. इन सभी सहायता सामग्र्रियों को राजकीय अतिथिशाला से उपायुक्त राय महिमापत रे एवं एसडीओ अंजलि यादव द्वारा फ्लैग ऑफ कर केरल के लिए रवाना किया था.
तालाब के चारों ओर बना दी दीवार नहीं घुस पा रहा है बारिश का पानी
शहर के तालाब बेमौत मारे जा रहे है़ं गर्मी के दिनों में तो शहर के अधिकांश तालाब सूखे रहते है़ं ऐसे कई तालाब हैं, जहां गर्मी शुरू होते ही लोटा भर पानी नहीं रहता है. वहीं बरसात में तालाब रिचार्ज नहीं हो रहे हैं.
तालाबों के आसपास कहीं अतिक्रमण है, तो कहीं सौंदर्यीकरण के नाम बेवजह क्रंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी गयी है. मुख्यमंत्री ने भी इन तालाबाें काे कंक्रीट के जाल से मुक्त करने का निर्देश दिया है, पर हाे कुछ भी नहीं रहा. प्रभात खबर ने शहर के तालाबों को बचाने की पहल फिर से शुरू की है़ प्रभात खबर की टीम शहर के तालाबाें का जायजा ले रही है़ पहली कड़ी में रिम्स के टुनकी टोला तालाब की स्थिति पर पेश है उत्तम महतो और छायाकार अमित दास की रिपोर्ट़
रांची : पिछले 24 घंटे में राजधानी में मूसलाधार बारिश हुई. इस दौरान 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी. बावजूद इसके रिम्स के पास टुनकी टोला का तालाब नहीं भरा़ सड़क पर पानी बह रहा है, लेकिन तालाब में पानी नहीं जा रहा है़
शनिवार रात को भी जब झमाझम बारिश हो रही थी, तो कोकर से रिम्स की ओर जाने वाली सड़क पर तालाब के समीप एक फीट तक पानी जमा था. सड़क से आना-जाना मुश्किल था,लेकिन पानी तालाब में नहीं जा रहा था़ यह तालाब भी सौंदर्यीकरण के नाम पर फिजूलखर्ची की भेंट चढ़ गया है़ तालाब का कैचमेंट एरिया बर्बाद हो गया है़ इसके चारों तरफ पक्की दीवार बना दी गयी है़
इस कारण कहीं से पानी घुसने की गुंजाइश नहीं है़ स्थिति ऐसी है कि अगर दीवार के बाहर पांच फीट पानी जमा हो भी जाये, तो भी तालाब के अंदर नहीं जा सकता़ इस तालाब के सौंदर्यीकरण पर निगम 80 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है.
शहर के दर्जनों मुहल्ले डूबे रहे, पर तालाब नहीं भरे : शनिवार और रविवार को हुई मूसलाधार बारिश से शहर तबाह है़ राजधानी के पॉस इलाके से लेकर स्लम में रहनेवाले लोगों की स्थिति बदहाल है़
अत्यधिक बारिश होने के कारण शहर के 50 से अधिक मोहल्ले ऐसे हैं, जिसकी सड़कें तालाब में तब्दील हो गयी है़ं बारिश का पानी कई घरों में भी घुस गया है़ शनिवार की देर रात तक मोहल्लों की सड़कों पर बारिश का यह पानी थमा रहा. एक ओर जहां बारिश का यह पानी सड़कों पर ही रात भर जमा रहा. लेकिन बारिश का यह पानी तालाबों में नहीं घुसा.
सीएम के आदेश का भी असर नहीं हुआ अधिकारियों पर
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 14 जुलाई को शहर के तालाबों का निरीक्षण किया था.उन्होंने निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि तालाबों के किनारे जो पक्की दीवार का निर्माण करा दिया गया है, इसे अविलंब हटाया जाये. ताकि, लोग जब सड़क से गुजरें तो उन्हें तालाब साफ-साफ दिखे. इस प्रकार की घेराबंदी से तालाब तो किसी को दिखता नहीं है.
ऊपर से बारिश का पानी जो इसमें प्रवेश करता है, उस पर भी रोक लग जाती है. इसलिए तालाबों के किनारे जाली लगायी जाये. शहर में 10 ऐसे तालाब हैं, जिसकी घेराबंदी कर दी गयी है़ दूसरी ओर मुख्यमंत्री के आदेश का कोई असर नगर निगम के अधिकारियों पर नहीं हुआ.
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