रांची: राज्य भर में आयुर्वेदिक, योग, यूनानी, सिद्धा व होमियोपैथी (आयुष) दवाएं नहीं है. इनकी खरीद गत कई वर्षो से नहीं हो रही है. दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग आयुष चिकित्सकों से बगैर काम लिये उन्हें हर माह लगभग 1.10 करोड़ रु वेतन का भुगतान कर रहा है.
आयुष चिकित्सा से संबंधित दवाएं न रहने से कुल 332 चिकित्सक बेकार हो गये हैं. इनमें से 104 स्थायी चिकित्सक हैं तथा शेष 228 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत बहाल अनुबंधित चिकित्सक हैं. स्थायी चिकित्सक राज्य भर के कुल 182 आयुष चिकित्सा केंद्रों में अपनी सेवाएं देने के लिए बहाल किये गये हैं, लेकिन दवा न रहने से इन केंद्रों पर कोई नहीं जाता. उधर एनआरएचएम के तहत चिकित्सकों की नियुक्ति 30 दिसंबर-13 को हुई थी. इन्हें नियुक्त किये जाने को विभाग ने बड़ी उपलब्धि बताया था. अब गत पांच माह से इन्हें बैठा कर वेतन दिया जा रहा है.
सरकार अनुबंधित चिकित्सक को प्रति माह 22 हजार रु वेतन देती है. वहीं स्थायी चिकित्सकों का वेतन करीब 50 हजार प्रति माह है. केंद्र सरकार ने एनआरएचएम के तहत दवाओं की खरीद के लिए वित्तीय वर्ष 2009-10 में ही झारखंड को 20.26 करोड़ रु उपलब्ध कराया था. वित्तीय वर्ष 2012-13 में भी 18 लाख रु दिये गये थे. यह पूरी रकम बेकार पड़ी है. उधर केंद्र राज्य से उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) मांग रहा है, पर स्वास्थ्य विभाग इससे कन्नी काट रहा है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में विभाग का भी 18 लाख रु लैप्स कर गया. इससे पहले भी करीब तीन वर्षो तक आयुष दवाओं की खरीद नहीं हुई थी. गौरतलब है कि झारखंड में योग व सिद्धा पद्धति प्रचलन में नहीं है. पर होमियोपैथी व आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्रचलित है. वहीं यूनानी पद्धति से उपचार करवाने वाले भी कई हैं.
कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं
केंद्र से मिले 20.26 करोड़ रु बेकार पड़े रहने के मामले में कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. एक वरीय अधिकारी ने कहा कि क्या बोलें? एमडी (अभियान निदेशक) को ये सब करना है, पर यहां किसको कहा जाये. उधर सचिवालय स्थित स्वास्थ्य विभाग में भी आयुष दवाओं की खरीद की फाइल लटकी हुई है. बताया गया कि आयुष निदेशक के न रहने से मामला फंसा हुआ है. पर फाइल अभी कहां है, इसकी जानकारी नहीं है.