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रांची : स्कूल मर्जर पर किचकिच, विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष को भी एतराज
सरकार ने नीतिगत फैसला लिया है, इसे बदलना होगा रांची : राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में छात्रों की संख्या को मापदंड बना कर दूसरे स्कूलों में विलय किया जा रहा है. जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या की संख्या पर्याप्त नहीं है, उन्हें बगल के स्कूल में मर्ज किया जा रहा है. अब […]
सरकार ने नीतिगत फैसला लिया है, इसे बदलना होगा
रांची : राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में छात्रों की संख्या को मापदंड बना कर दूसरे स्कूलों में विलय किया जा रहा है. जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या की संख्या पर्याप्त नहीं है, उन्हें बगल के स्कूल में मर्ज किया जा रहा है. अब तक राज्य में छह हजार प्राथमिक और मध्य विद्यालय मर्ज किये जा रहे हैं. सरकार ने नीतिगत फैसला लिया है, वहीं इस मुद्दे को विपक्ष ने राजनीतिक एजेंडा बना लिया है.
विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी जनप्रतिनिधियों को एतराज है. पिछले दिनों राज्य के सभी भाजपा सांसदों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर स्कूल के विलय प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है.
सरकार के फैसले पर दो केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत और जयंत सिन्हा सहित 12 सांसदों ने पत्र में अपनी लाचारगी भी बतायी है. सांसदों के पत्र से साफ है कि जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र में परेशानी हो रही है. सांसदों ने यहां तक कहा है कि यह फैसला वापस नहीं हुआ, तो आनेवाले दिनों में होनेवाले चुनाव में संकट हो सकता है. उधर, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने का एलान किया है. कांग्रेस, झामुमो और झाविमो ने आंदोलन की घोषणा की है.
जनप्रतिनिधियों को हो रही परेशानी
अब तक छह हजार स्कूलों का हो चुका है विलय, राजनीतिक एजेंडा बनता जा रहा है मामला
झामुमो, कांग्रेस और झाविमो ने दिया अल्टीमेटम, भाजपा सांसदों ने सीएम को लिखा है पत्र
विधानसभा में उठा था मामला, पक्ष-विपक्ष ने घेरा था
स्कूलों के विलय को लेकर पिछले मॉनसून सत्र में यह मामला उठा था. हालांकि, सत्र व्यवस्थित रूप से नहीं चल सका, लेकिन विधायकों को जब मौका मिला, उन्होंने अपनी बात रखी. इस मामले में सदन में कार्यस्थगन भी लाया था. विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने इसका विरोध किया था.
सरकार ने जनविरोधी फैसला लिया है. राज्य के बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं है. सरकार एक ओर संसाधन बढ़ा नहीं रही, दूसरी ओर स्कूल बंद करने का फैसला लिया है. हमारी पार्टी ने इसके खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन का एलान किया है. राज्य भर में धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम तय हुआ. पार्टी का आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक सरकार पीछे नहीं हटेगी. बात पक्ष-विपक्ष नहीं, राज्यहित की है.
– योगेंद्र प्रताप सिंह, झाविमो प्रवक्ता
सरकार एक के बाद एक जनविरोधी फैसले ले रहीहै. स्कूलों का विलय उसी कड़ी में एक फैसला है. यह गांव और गरीब विरोधी सरकार है.
गरीब के बच्चे किसी तरह से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षकों की कमी सरकार दूर नहीं कर सकी, बच्चों को स्कूल तक पहुंचा नहीं सकी तो अब स्कूल ही बंद करने का फैसला ले लिया. पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे. सरकार को यह झारखंड विरोधी फैसला वापस लेना होगा.
– विनोद पांडेय, झामुमो प्रवक्ता
हमारी पार्टी इस फैसले का लगातार विरोध कर रही है. प्रदेश नेतृत्व ने इसके खिलाफ आंदोलन का भी एलान किया हैङ झारखंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि दुर्गम इलाके में बच्चे दूर नहीं जा सकते. प्राथमिक और मध्य विद्यालयों का विलय किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. राज्य की पूरी शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जायेगी. अब ताे सरकार को चेत जाना चाहिए, उनके दल के लोग ही विरोध कर रहे हैं.
– राजेश ठाकुर, मीडिया प्रभारी कांग्रेस
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