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झारखंड ने केंद्रीय करों में 42 की जगह 50 फीसदी हिस्सेदारी मांगी
वित्त आयोग को राज्य के आर्थिक व सामाजिक स्थिति की दी गयी जानकारी रांची : राज्य सरकार ने 15वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में राज्य की भागीदारी 42 फीसदी से बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने की मांग की. केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए निर्धारित फार्मूले में बदलाव और आदिवासियों की आबादी को भी […]
वित्त आयोग को राज्य के आर्थिक व सामाजिक स्थिति की दी गयी जानकारी
रांची : राज्य सरकार ने 15वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में राज्य की भागीदारी 42 फीसदी से बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने की मांग की. केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के लिए निर्धारित फार्मूले में बदलाव और आदिवासियों की आबादी को भी 10 प्रतिशत महत्व देने का मांग रखी. साथ ही राज्य में कृषि,सामाजिक, राजस्व प्रशासन और आधारभूत संरचना के लिए आयोग से 1.5 लाख करोड़ रुपये अनुदान देने की मांग की.
वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से राज्य के आर्थिक और सामाजिक स्थिति की जानकारी दी. राज्य सरकार ने केंद्रीय करों में भागीदारी बढ़ाने की मांग के साथ ही 14 वें वित्त आयोग द्वारा हिस्सेदारी तय करने के लिए निर्धारित फार्मूले में बदलाव की मांग की. सरकार की ओर से पहली बार आदिवासियों की आर्थिक सामाजिक स्थिति का उल्लेख करते हुए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के फार्मूले में उन्हें 10% महत्व देने की मांग की गयी.
राज्य में खनिज संपदाओं के खनन से पर्यावरण पर पड़नेवाले प्रभाव को देखते हुए वन क्षेत्र के महत्व को 7.5 फीसदी से बढ़ा कर 10 प्रतिशत करने की मांग की गयी. सरकार की ओर यह भी कहा गया कि खनन के क्षेत्र से सिर्फ 2.3 प्रतिशत ही रोजगार सृजित होता है.
स्थानीय निकायों की चर्चा के दौरान राज्य की ओर से कहा गया कि 14 वें वित्त आयोग द्वारा स्थानीय निकायों के लिए अनुशंसित राशि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 1.7 प्रतिशत था. इस बढ़ा कर दो प्रतिशत किया जाना चाहिए. साथ ही कहा गया कि माइनिंग क्षेत्र को भी 10 प्रतिशत का महत्व देना चाहिए. फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने में देर होने की वजह से सरकार की योजनाएं समय पर पूरी नहीं होती हैं. साथ ही योजनाओं की लागत में लगातार वृद्धि होती जाती है.
स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना इसका उदाहरण है. राज्य सरकार ने कोयले से मिलनेवाले सेस को जीएसटी के मुआवजा में मिलाने का विरोध किया. साथ ही इससे झारखंड को होनेवाले नुकसान का उल्लेख किया. जीएसटी से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा वर्ष 2022 के बाद भी जारी रखने की मांग की गयी.
सरकार ने पिछले वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में केंद्रीय करों में पूरी हिस्सेदारी नहीं मिलने की शिकायत की. साथ ही इससे संबंधित आंकड़ा भी पेश किया. सरकार ने अपनी आर्थिक स्थिति की चर्चा के दौरान कर्ज अनुपात 25 प्रतिशत होने की जानकारी दी. इस पर आयोग ने कहा कि इसे 20 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखना चाहिए.
इस मामले में आयोग की ओर से उठाये गये सवालों का जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा उदय बांड देने की वजह से कर्ज का अनुपात बढ़ा है. राज्य सरकार ने कर्ज लेने के लिए निर्धारित फार्मूले का भी विरोध किया. केंद्र सरकार जरूरी खर्चों को पूरा करने के उद्देश्य से खुद के लिए बजट का 60 प्रतिशत कर्ज लेने का फार्मूले तय किया है. हालांकि राज्यों के लिए यह सीमा 20 प्रतिशत निर्धारित है.
सरकार ने कर्ज लेने की सीमा बढ़ा कर 30 प्रतिशत करने की मांग की. सरकार ने जुडिशियरी के लिए 2900 करोड़ की मांग की. इसमें रांची में बन रहे हाइकोर्ट भवन के लिए 500 करोड़ और दुमका में बननेवाले हाइकोर्ट भवन के लिए 1000 करोड़ रुपये शामिल है.
1 वाइल्ड लाइफ, फॉरेस्ट क्लियरेंस में देर होने की वजह से योजनाओं की लागत बढ़ रही है
स्वर्णरेखा परियोजना की मूल लागत 128 करोड़ थी, जो बढ़ कर 6613 करोड़ रुपये हो गयी है
नाॅर्थ कोयल प्रोजेक्ट 30 करोड़ की लागत पर स्वीकृत हुई थी, जो बढ़ कर 2391 करोड़ रुपये हो गया
इको सिस्टम का 75 प्रतिशत से अधिक फायदा दूसरे राज्यों को होता है
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के फार्मूले में आदिवासी आबादी को 10% महत्व देने की मांग
गरीबी और खनन से पर्यावरण पर पड़ रहा दुष्प्रभाव झारखंड की बड़ी समस्या
रांची : वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा है कि आदवासियों की गरीबी और खनिजों के खनन से पर्यावरण पर पड़नेवाला दुष्प्रभाव झारखंड की बड़ी समस्या है.
15वें वित्त आयोग से राज्य सरकार ने 27 फीसदी आदिवासी आबादी और खनिजों के दोहन से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव के मद्देनजर अलग से व्यवस्था करने की मांग की है. आयोग इस पर विचार कर रहा है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय करों में राज्यों की भागीदारी तय करने के क्रम में राज्य सरकार 2011 की जनगणना को आधार बनाने के पक्ष में है.
राज्य सरकार ने अपनी स्थिति का उल्लेख करते हुए केंद्रीय करों में अपनी भागीदारी बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने की मांग रखी है. श्री सिंह ने कहा कि झारखंड दौरे के दौरान निकाय व पंचायत प्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों और मंत्रियों व अधिकारियों के साथ आयोग की बैठक सार्थक रही है.
सरकार ने अपनी मांगों से संबंधित मेमोरेंडम आयोग को उपलब्ध करा दिया है. जीएसटी की वजह से राजस्व में आयी अनिश्चितता की ओर भी आयोग का ध्यान आकृष्ट कराया गया है. खनिजों के दोहन की वजह से पर्यावरण को होनेवाले नुकसान की क्षतिपूर्ति की मांग भी राज्य सरकार द्वारा की गयी है. देश के सभी राज्यों के भ्रमण और वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद आयोग राज्यों के लिए जरूरी अनुशंसा करेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार पिछले तीन वर्षों से काफी अच्छा काम कर रही है.
राज्य के ग्रोथ रेट में उत्साहजनक वृद्धि रिकार्ड की गयी है. बिहार में आयोग का कार्यक्रम रद्द होने के सिलसिले में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए श्री सिंह ने कहा कि बिहार का कार्यक्रम किसी भी तरह के राजनीतिक कारणों से रद्द नहीं हुआ है. आयोग के प्रस्तावित दौरे के समय बिहार के मुख्यमंत्री अस्वस्थ थे.
आयोग ने अब तक देश के 29 में से केवल सात राज्यों का ही भ्रमण किया है. निश्चित रूप से बिहार भ्रमण का कार्यक्रम फिर से बनेगा. आयोग सभी राज्यों में जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर ही अपनी अनुशंसा करेगा. आयोग अपने टर्म्स ऑफ रेफरेंस से बंधा हुआ है. इसके कामकाज को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जा सकता है.
वित्त आयोग से मांग
खनन के दौरान दुर्घटना, बिजली गिरने, हाथी सहित अन्य जानवरों द्वारा पहुंचाये जानेवाले नुकसान जैसी आपदाओं पर राज्य को मदद की जरूरत है. इस मद में 20% राशि देने की अनुशंसा करने की मांग
कोयले की रॉयल्टी बढ़ा कर 20% करें, 2012 से रिवाइज नहीं हुआ है
आयोग की अनुशंसा के आलोक में केंद्रीय करों का पूरा हिस्सा दें
अनुदान की राशि खर्च करने के लिए तय शर्तों को कम किया जाये
केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तय करने के फार्मूले में बदलाव किया जाये
कोयले पर मिलनेवाले सेस को जीएसटी के मुआवजे में नहीं मिलायें
जीएसटी से होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा जारी रखें
जुडिशियरी के लिए 2900 करोड़ रुपये की मांग की गयी
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