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हरमू फ्लाइ ओवर: जमीन देने पर राज्यपाल राजी नहीं, विकल्प तलाशने का दिया सुझाव

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने हरमू फ्लाइ ओवर के लिए राजभवन की जमीन दिये जाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने सरकार को अन्य विकल्प तलाशने का सुझाव दिया है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल और नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात की. उन्हें राजभवन की जमीन देने के […]

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने हरमू फ्लाइ ओवर के लिए राजभवन की जमीन दिये जाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने सरकार को अन्य विकल्प तलाशने का सुझाव दिया है. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल और नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात की. उन्हें राजभवन की जमीन देने के लिए मनाने का प्रयास किया. अधिकारियों ने राज्यपाल को यह भी कहा कि 15 नवंबर 2017 को राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों हरमू फ्लाइ ओवर का ऑनलाइन शिलान्यास किया जा चुका है. ऐसे में राजभवन की ओर से जमीन नहीं दिये जाने पर परेशानी खड़ी हो जायेगी. लेकिन, राज्यपाल ने अधिकारियों की बातों पर असहमति जताते हुए राजभवन की सुरक्षा सहित अन्य कारणों की वजह से जमीन देने से इनकार कर दिया है. नगर विकास विभाग अब फ्लाइ ओवर के नये विकल्पों पर विचार कर रहा है.

दिसंबर में मांगी थी जमीन

हरमू फ्लाइ ओवर का निर्माण झारखंड अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को करना था. कंपनी की ओर से दिसंबर 2017 में नगर विकास विभाग के माध्यम से राज्यपाल के पास जमीन देने का प्रस्ताव भेजा गया था. राजभवन के पिछले हिस्से से 56 फुट और नागा बाबा खटाल की तरफ से 40 फुट जमीन देने का अनुरोध किया गया था. नागा बाबा खटाल की तरफ से 40 फुट जमीन की मांग फ्लाइ ओवर के रोड नंबर-2 के लिए की गयी थी.

एलपीएन शाहदेव चौक से कार्तिक उरांव चौक तक प्रस्तावित है

हरमू फ्लाइ ओवर एलपीएन शाहदेव चौक से कार्तिक उरांव चौक तक 2.34 किमी लंबा और 16.5 मीटर चौड़ा प्रस्तावित है. इसके लिए 240.056 डिसमिल सरकारी और 296.928 डिसमिल निजी जमीन की जरूरत बतायी गयी है.

रद्द हो चुका है वर्क ऑर्डर

हरमू फ्लाइओवर बनाने के लिए मेसर्स सुप्रीम इंफ्रा कंपनी को दिया गया वर्क ऑर्डर पहले ही रद्द कर दिया गया था. झारखंड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने अप्रैल 2017 को 130 करोड़ की लागत पर फ्लाइ ओवर बनाने के लिए मेसर्स सुप्रीम इंफ्रा कंपनी को वर्क ऑर्डर दिया था. इस कंपनी को पथ निर्माण विभाग ने पहले ही ब्लैक लिस्टेट कर रखा था. इस आशय की जानकारी मिलने के बाद झारखंड अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने मार्च 2018 में वर्क ऑर्डर रद्द कर दिया.

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