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रांची : गोद लिये जानेवाले बच्चे से नहीं मिल सकते भावी अभिभावक

गोद लिये जाने वाले बच्चे व गोद लेनेवाले अभिभावकों का अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी संजय रांची : इन दिनों बच्चों को गोद लेने से संबंधित विवाद चल रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि गोद लेने की सही प्रक्रिया क्या है. यदि आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो आप बच्चे से […]

गोद लिये जाने वाले बच्चे व गोद लेनेवाले अभिभावकों का अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी
संजय
रांची : इन दिनों बच्चों को गोद लेने से संबंधित विवाद चल रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि गोद लेने की सही प्रक्रिया क्या है. यदि आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो आप बच्चे से मिल नहीं सकते. सरकार ने अगस्त 2015 में गोद लेने की प्रक्रिया सरल बनाने संबंधी प्रावधान किये हैं. अब गोद लिये जाने वाले बच्चे व गोद लेनेवाले अभिभावकों का अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी है. बच्चे व उसके भावी अभिभावकों की सीधी मुलाकात के बदले अब अॉनलाइन मैचिंग का प्रावधान है.
यानी गोद लेने के इच्छुक लोग बच्चे के बारे में सारी जानकारी अॉनलाइन ही ले सकते हैं. किस राज्य से कौन-सा बच्चा गोद लिया जा सकता है, यह निर्णय सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेस अॉथोरिटी (सीएआरए या कारा) करती है. गोद लिये जानेवाले बच्चे तथा गोद लेने के इच्छुक लोगों की तसवीरों सहित सभी जानकारी कारा की साइट www.cara.nic.in पर उपलब्ध हैं. बच्चे व अभिभावकों का निबंधन भी इसी साइट पर होता है. बच्चों को गोद लेने संबंधी प्रक्रिया तथा इसके लिए तय कानून की निगरानी के लिए ही राष्ट्रीय स्तर पर कारा तथा राज्य स्तर पर स्टेट एडॉप्शन रिसोर्सेस एजेंसी (एसएआरए या सारा) कार्यरत है. झारखंड में सारा का कार्यालय एचइसी के एफएफपी बिल्डिंग स्थित सचिवालय में है.
बच्चे व भावी अभिभावकों की सीधी मुलाकात के बदले है अॉनलाइन मैचिंग का प्रावधान
कितने बच्चे गोद लिये गये झारखंड से
झारखंड बाल संरक्षण संस्था एवं स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (सारा) के वर्ष 2011 में गठन के बाद से दिसंबर 2017 तक झारखंड से 33 लड़कियों व 20 लड़कों (कुल 53) को एनआरआइ व विदेशियों ने गोद लिया है. वहीं, झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों के ज्यादातर संतानहीन लोगों ने झारखंड के 213 लड़कों तथा 164 लड़कियों (कुल 430) को गोद लिया है.
क्या है गोद लेना
गोद लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उन बच्चों को, जो अपने अभिभावकों से किसी कारणवश (उनकी मृत्यु होने, बच्चे को छोड़ देने या किसी कारणवश समर्पण कर देने) स्थायी रूप से अलग हो गये हों, उन्हें न्यायसंगत (कानूनी) तरीके से नये अभिभावकों को सौंप दिया जाता है. ऐसे अभिभावक उस बच्चे के दत्तक माता-पिता कहलाते हैं.
गोद लेने के साथ ही दत्तक अभिभावक को उसबच्चे से जुड़े सभी अधिकार, सुविधाएं व जिम्मेदारियां मिल जाती हैं. बच्चे को गोद देने का निर्णय अंतिम रूप से फैमिली कोर्ट करता है.
राज्य में गोद देने वाली एजेंसियां
बच्चों को गोद देने वाली एजेंसियों को लाइसेंस, कारा देती है. सरकार की ओर से संचालित संस्थाअों के अलावा गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित बाल व शिशु गृह को भी स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (सा) का लाइसेंस दिया जाता है. झारखंड में 15 संस्थाअों को यह लाइसेंस प्राप्त है.
एजेंसियां : इंटिग्रेटेड सोशल डेवलपमेंट अॉर्गनाइजेशन मेदिनीनगर, सहयोग विलेज खूंटी, जमशेदपुर, रांची, गढ़वा व बोकारो, करुणा (आरोग्य भवन) बरियातू रांची, सहयोग विलेज गुरु गोविंद सिंह आश्रालय सिमडेगा, आइअारए इंस्टीट्यूट अॉफ रूरल मैनेजमेंट देवघर, सृजन फाउंडेशन चतरा, लोहरदगा व हजारीबाग, ग्राम प्रौद्योगिक विकास संस्थान दुमका, कोडरमा व धनबाद

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