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बिन पेंदी के लोटा जैसे कार्यक्रम में कितना पैसा लगायेंगे : सरयू

स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट पर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने कहा रांची : खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि आखिर बिना पेंदी के लोटा वाले जैसे कार्यक्रम में कितना पैसा लगायेंगे. इससे आम जनता को कितना लाभ है. स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट में नाबार्ड ने 500 करोड़ रुपये निवेश किया. योजना ही आरंभ में 175 करोड़ […]

स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट पर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने कहा
रांची : खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि आखिर बिना पेंदी के लोटा वाले जैसे कार्यक्रम में कितना पैसा लगायेंगे. इससे आम जनता को कितना लाभ है. स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट में नाबार्ड ने 500 करोड़ रुपये निवेश किया. योजना ही आरंभ में 175 करोड़ रुपये की बनी थी. विश्व बैंक को दिया, तो 400 करोड़ का बजट हो गया. अब यह 2000 करोड़ की होने जा रही है. श्री राय गुरुवार को होटल बीएनआर चाणक्या में नाबार्ड के 37वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं में जो पैसा लगा रहे हैं, उसमें सरकारों की सोच का एक बार हमको विश्लेषण करना चाहिए कि जिसके लिए काम कर रहे हैं और उसके बदले में निहित स्वार्थी समूह कितना लाभ कमा रहे हैं.
एसएचजी बनाना उपलब्धि नहीं : श्री राय ने कहा कि अधिक-से-अधिक एसएचजी बनाना उपलब्धि नहीं है. निचले स्तर पर जब तक सही तरीके से काम नहीं होगा, संस्थाएं सफल नहीं होंगी. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से काम नहीं होगा. ईज ऑफ रिस्पाॅन्सिबल बिजनेस होना चाहिए. हर चीज की सीमा और मर्यादा होती है. इसके अंदर रह कर ही काम करना होगा.
… तो राजनीतिक परिवर्तन कुछ नहीं कर पायेगा
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने कहा कि संस्थान मजबूत रहेंगे, तो कोई भी राजनीतिक परिवर्तन कुछ नहीं कर पायेगा. कोई समस्या नहीं होगी. संस्थान बनायें. मजबूत करें. आदर करें. देश व राष्ट्र के हित में बेहतर होगा. तभी नाबार्ड की सहायता का लाभ नीचे तक मिल पायेगा.
नाबार्ड का एसएचजी के लिए महत्वपूर्ण प्रोग्राम
नाबार्ड के सीजीएम शरद झा ने कहा कि नाबार्ड एक मजबूत वित्तीय संस्था के रूप में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरा है. नाबार्ड का एसएचजी के लिए महत्वपूर्ण प्रोग्राम है. झारखंड में 51,000 एसएचजी को बैंकों से जोड़ा गया है. जबकि 60,000 एसएचजी को 600 करोड़ रुपये देने की योजना है. इ-शक्ति कार्यक्रम से एसएचजी के खाते को डिजिटाइजेशन करना है. ग्रामीण और को-ऑपरेटिव बैंकों को नाबार्ड बढ़ावा दे रही है. सीबीएस प्लेटफॉर्म होने के बाद काम में तेजी आयी है.
नाबार्ड के जीएम बिक्रम कुमार दास ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से नाबार्ड के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके बाद पैनल डिस्कशन में झारक्राफ्ट के पूर्व एमडी धीरेंद्र कुमार, आइसीएआर, पलांडू के निदेशक एके सिंह, पूर्व निदेशक डॉ शिवेंद्र कुमार, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक पीके झा, आरबीआइ के जीएम संजीव दयाल, पूर्व मुख्य सचिव शिव बसंत शामिल हुए.

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