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दलबदल मामले में बाबूलाल का सनसनीखेज खुलासा, भाजपा ने 6 विधायकों को 11 करोड़ में खरीदा

झाविमो अध्यक्ष ने जारी किया रवींद्र राय का पत्र, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से भी मिले, की शिकायत रांची : झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी के छह विधायकों को भाजपा ने 11 करोड़ रुपये देकर खरीदा था. बाबूलाल ने शुक्रवार को पार्टी प्रतिनिधिमंडल के साथ […]

झाविमो अध्यक्ष ने जारी किया रवींद्र राय का पत्र, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से भी मिले, की शिकायत
रांची : झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी के छह विधायकों को भाजपा ने 11 करोड़ रुपये देकर खरीदा था.
बाबूलाल ने शुक्रवार को पार्टी प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर इससे संबंधित सबूत सौंपने का दावा किया है. उन्होंने सबूत के तौर पर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय की ओर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लिखे गये पत्र की कॉपी भी सार्वजनिक की है.
यह पत्र 19 जनवरी 2015 को लिखा गया था. पत्र के अनुसार, झाविमो से भाजपा में गये छह विधायकों गणेश गंझू, रणधीर कुमार सिंह, नवीन जायसवाल, अमर कुमार बाउरी, आलोक कुमार चौरसिया और जानकी यादव को 11 करोड़ रुपये दिये गये थे. बाबूलाल के अनुसार, इनमें से अमर बाउरी को भाजपा ने एक करोड़ रुपये दिये थे.
शेष पांच विधायकों को दो-दो करोड़ रुपये दिये थे. बाबूलाल मरांडी ने जो पत्र सार्वजनिक किया है, उसमें रवींद्र राय ने अमित शाह को लिखा है कि कुल 11 करोड़ नकद दिये गये हैं. सभी विधायकों से प्राप्ति पर्ची रघुवर दास को सौंप दी गयी है. झाविमो के विधायकों को शेष राशि भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के 36 माह बाद उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी रघुवर दास की ओर से ली गयी है.
पत्र में रवींद्र राय के हवाले से लिखा गया है कि इस दौरान भाजपा में आनेवाले सभी विधायकों के स्थायित्व की जिम्मेवारी मैं लेता हू़ं
पहले से ही लगा रहा था आरोप : राज्यपाल से मिलने के बाद बाबूलाल मरांडी ने अपने आवास पर पत्रकारों से बात की. उन्होंने कहा : विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप पहले से लगा रहे हैं. पहले ही कहा था कि विधायकों को पद और पैसे का प्रलोभन दिया गया है. पद तो इन्हें पहले मिल गया. अब पैसों के लेन-देन का मामला भी साफ हो गया है.
यह घटना लोकतंत्र पर कलंक है. यह केवल मेरी पार्टी का सवाल नहीं है, लोकतंत्र का सवाल है. उन्होंने पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है. लेन-देन में शामिल सभी लोगों पर एफआइआर दर्ज कर उन पर कार्रवाई करने की मांग की है.
उत्तराखंड के सीएम भी शामिल : उन्होंने कहा : इस पूरे प्रकरण में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी नाम सामने आया है. दलबदल में मुख्यमंत्री की भूमिका भी साफ है. सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों ने लोकतंत्र को कलंकित किया है. ऐसे लोगों को बर्खास्त किया जाये.
बाबूलाल ने कहा : न्याय नहीं मिला, तो वह राष्ट्रपति तक जायेंगे. राज्य में सरकार बनने के बाद रघुवर दास की सरकार ने यह पहला असंवैधानिक काम किया था. 10वीं अनुसूची के कानून को कागज का टुकड़ा बना दिया गया है. मैं इस तत्थ को सामने लाने के लिए पिछले तीन महीने से मेहनत कर रहा था़ आज पत्र हाथ लगा है. मौके पर पार्टी नेता बंधु तिर्की और प्रवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह भी मौजूद थे़
पत्र के अनुसार किस विधायक को किसकी
निगरानी में िकसने दी कितनी राशि
विधायक राशि मिली किसने दी किसकी निगरानी
गणेश गंझू दो करोड़ सुनील सिंह राकेश प्रसाद
रणधीर सिंह दो करोड़ महेश पोद्दार दीपक प्रकाश
नवीन जायसवाल दो करोड़ सीपी सिंह प्रदीप कुमार वर्मा
अमर बाउरी एक करोड़ विरंची नारायण संजय सेठ
आलोक चौरसिया दो करोड़ अनंत ओझा उषा पांडेय
जानकी यादव दो करोड़ रघुवर दास राजेंद्र सिंह
(नोट : तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय ने यह पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को उत्तराखंड के वर्तमान सीएम और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत के माध्यम से भेजा था़ )
पत्र पर उठ रहे हैं सवाल भी
तब सांसद रवींद्र राय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, लेकिन जिस पत्र का बाबूलाल हवाला दे रहे हैं, उस लेटर पैड पर डॉ रवींद्र राय को किसान मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बताया गया है. प्रदेश अध्यक्ष से पूर्व रवींद्र राय भाजपा किसान माेर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. भाजपा इसको लेकर सवाल उठा रही है
पत्र में रवींद्र राय को किसान मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बताया गया है, जबकि उनके हस्ताक्षर के नीचे भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष लिखा है
पत्र 19 जनवरी 2015 को लिखा गया, फिर इतने दिनों तक बाहर क्यों नहीं आया, जबकि दलबदल का मामला 2015 से ही चल रहा है
3 साल चार महीने
स्पीकर के न्यायाधीकरण में चल रहा मामला
फरवरी 2015 में बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव ने पत्र लिख कर पार्टी के छह विधायकों के खिलाफ 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल की शिकायत स्पीकर दिनेश उरांव से की स्पीकर दिनेश उरांव ने दलबदल के तहत यह मामला 10 वीं अनुसूची के तहत मेंटेबल मानते हुए कार्रवाई शुरू की इस मामले में अब तक मंत्री-विधायक व आरोपी विधायकों के नजदीकी 53 लोगों की गवाही हुई है
मंत्री रणधीर सिंह और अमर बाउरी की गवाही अंतिम में हुई
अब दलबदल के मामले में बहस शुरू हो रही है
स्पीकर दिनेश उरांव ने नहीं आने के कारण लगभग 70 लोगाें की गवाही निरस्त कर दी है
जिन पर लगे पैसे लेने के आरोप, उन्होंने सिरे से नकारा
बाबूलाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं. अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं. उन पर मानहानि का केस करेंगे. लगे आरोपों का खुलासा भी जल्द कर दिया जायेगा. – रणधीर सिंह, मंत्री
राय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. इससे साफ है कि रवींद्र राय के हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल कर बाबूलाल मरांडी निराधार आरोप लगा रहे हैं. हम बिकाऊ नहीं, टिकाऊ हैं.
– नवीन जायसवाल, विधायक
कहीं कोई मामला नहीं है. मैं उस वक्त अनंत अोझा और उषा पांडेय को जानता भी नहीं था. हमलोगों ने राज्य हित में यह कदम उठाया था. आरोप लगानेवालों की मानसिक हालत ठीक नहीं है.
– आलोक चौरसिया, विधायक
बाबूलाल ने फर्जी चिट्ठी जारी की है. पत्र की सत्यता प्रमाणित करें, वरना सार्वजनिक रूप से माफी मांगे. पत्र सही साबित हुआ, तो जेल को भी तैयार हूं. उन पर मानहानि का दावा ठोकने जा रहे हैं.
– अमर बाउरी, मंत्री
बाबूलाल मरांडी ने झूठा आरोप लगाया है. राज्य में स्थायी सरकार बने और राज्य का विकास हो, इसे लेकर मैं भाजपा में शामिल हुआ. मेरी छवि को धूमिल करने का प्रयास िकया जा रहा है.
-जानकी यादव, विधायक
बाबूलाल जिस पत्र का हवाला दे रहे हैं, उसमें रवींद्र राय को भाजपा के राष्ट्रीय किसान मोर्चा का उपाध्यक्ष बताया गया है. पर जिस समय मैं पांच विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुआ था, वह प्रदेश अध्यक्ष थे. इससे साफ है कि रवींद्र राय के हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल कर बाबूलाल निराधार आरोप लगा रहे हैं.
– नवीन जायसवाल, विधायक
बोली भाजपा
बाबूलाल पर मानहानी का करेंगे मुकदमा
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मामला स्पीकर की अदालत में चल रहा है, तो उस समय बाहर इस पत्र को दिखाना निंदनीय है. अदालत की अवमानना के दायरे में आता है. बाबूलाल और झाविमो पर मानहानि का मुकदमा किया जायेगा. उन्होंने राज्यपाल को फर्जी पत्र सौंपा है.
पत्र विभिन्न अखबारों के दफ्तरों में पिछले एक वर्ष से घूम रहा था. जिस समय की घटना का जिक्र है, उस समय रवींद्र राय प्रदेश अध्यक्ष थे. पत्र किसान मोर्चा के पैड पर है. झाविमो के नेता सनसनी पैदा करने की कोशिश में हैं. राज्यपाल को दिग्भ्रमित करने के लिए और जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए.

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