बिहार के उम्मीदवार झारखंड की स्थानीयता का प्रमाणपत्र बना कर हुए शामिल
रांची : राज्य की 85 फीसदी मेडिकल सीटों पर नामांकन के लिए मंगलवार से पहले राउंड की काउंसेलिंग शुरू हुई. गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी काउंसेलिंग आयोजित करनेवाली बॉडी जेसीइसीइबी(झारखंड कंबाइंड एंट्रेंस कंपीटिटिव एग्जामिनेशन बोर्ड) ने उम्मीदवारों की स्टेट ऑफ एलिजिबिलिटी को दरकिनार करते हुए केवल स्थानीयता की पात्रता के आधार पर काउंसेलिंग की. इस वजह से बड़ी संख्या में बिहार के उम्मीदवार भी झारखंड की स्थानीयता का प्रमाणपत्र बना कर काउंसेलिंग में शामिल हो गये. गौरतलब हो कि साल 2017 में प्रभात खबर ने प्रमुखता से इस विषय को उजागर किया था. तब संबंधित विभाग की ओर से जांच की बात कह कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया.
क्या है स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी
नीट के आवेदन के दौरान उम्मीदवार से स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी कॉलम को भराया जाता है. इसका आशय यह होता है कि आवेदक मेडिकल की 85 फीसदी सीट में उसी राज्य को चुनेगा, जिसे उसने स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी में भरा है. मतलब जिस राज्य की पात्रता उम्मीदवार के पास होती है, वह उसे ही स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी के रूप में चुनता है.
बिहार ने मांगा है कन्फर्मेशन पेज
गौरतलब हो कि बिहार के मेडिकल कॉलेजों में भी प्रवेश के लिए काउंसेलिंग चल रही है. यहां बिहार के बाहर के उम्मीदवार शामिल न हों, इसके लिए उम्मीदवारों से नीट आवेदन कॉन्फर्मेशन पेज मांगा गया है. यह वही पेज होता है, जिसमें स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी का जिक्र किया गया होता है. बिहार ने इसी आधार पर पहले राउंड में 14 विद्यार्थियों को काउंसेलिंग से बाहर किया है. इसकी सूची बिहार में काउंसेलिंग आयोजित करने वाली बॉडी की वेबसाइट पर भी दी गयी है. इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में भी उम्मीदवारों की स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी देखी जा रही है.
बिना गाइडलाइन कुछ नहीं कर सकता
इस संबंध में परीक्षा नियंत्रक सुरेंद्र कुमार ने कहा कि स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने के समय स्टेट आॅफ एलिजिबिलिटी की जांच करनी है या नहीं, इस संबंध में किसी तरह की कोई गाइडलाइन नहीं दी गयी है. इसलिए स्थानीयता और आरक्षण की योग्यता के आधार पर काउंसेलिंग की जा रही है. बिना गाइडलाइन कुछ नहीं किया जा सकता है.