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झारखंड में ठेकेदार बनना हुआ मुश्किल

रांचीः झारखंड में ठेकेदार बनना मुश्किल हो गया है. तीन साल से सड़क व पुल बनाने के क्षेत्र में नये ठेकेदार नहीं आये हैं. इसकी वजह है कि यहां ठेकेदारों का निबंधन ही बंद कर दिया गया है. सबसे पहले ग्रामीण कार्य विभाग ने रजिस्ट्रेशन बंद किया. उस विभाग ने स्पष्ट किया कि अभी किसी […]

रांचीः झारखंड में ठेकेदार बनना मुश्किल हो गया है. तीन साल से सड़क व पुल बनाने के क्षेत्र में नये ठेकेदार नहीं आये हैं. इसकी वजह है कि यहां ठेकेदारों का निबंधन ही बंद कर दिया गया है. सबसे पहले ग्रामीण कार्य विभाग ने रजिस्ट्रेशन बंद किया. उस विभाग ने स्पष्ट किया कि अभी किसी भी ठेकेदार का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. इसके बाद पथ निर्माण विभाग ने भी रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया. दोनों विभागों में रजिस्ट्रेशन बंद होने से ठेकेदारी लाइन में नये लोगों का प्रवेश बिल्कुल बंद हो गया है.

रजिस्ट्रेशन बंद करने के पीछे कोई तर्क नहीं: रजिस्ट्रेशन बंद करने के पीछे विभाग का कोई स्पष्ट तर्क भी नहीं है. बस आदेश जारी कर निबंधन बंद कर दिया गया. हालांकि निबंधन बंद करने के पहले पथ निर्माण विभाग ने यह आदेश जारी किया था कि कोई भी व्यक्ति ठेकेदार बन सकता है. पर इसके लिए तय राशि ग्रेड के अनुसार भुगतान करना होगा और जरूरी कागजात जमा करने होंगे. यानी प्रोसेस को नॉर्मल किया गया था. तब कई लोग ठेकेदार बने, लेकिन अचानक आदेश जारी कर रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया.

पुराने ठेकेदारों से चल रहा है काम : फिलहाल ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, विशेष प्रमंडल के कार्यो में केवल पुराने ठेकेदार ही हिस्सा ले रहे हैं. उन्हीं ठेकेदारों के सहारे सड़क-पुल बन रहे हैं. अब तो इन ठेकेदारों की संख्या भी कम होती जा रही है. बड़ी संख्या में ठेकेदार या तो डिबार हुए हैं या उनका काम पेंडिंग है. ऐसे में उन्हें काम नहीं मिल रहा है. जबकि कई ठेकेदार काली सूची में भी डाल दिये गये हैं. नये ठेकेदारों के नहीं आने व पुराने के चले जाने से ठेकेदारों की संख्या कम हुई है.

दूसरे के नाम से ले रहे हैं काम: ठेका काम करने को इच्छुक व्यक्ति अब दूसरे ठेकेदारों के कागज पर काम ले रहे हैं. वे पुराने ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन इस्तेमाल कर रहे हैं. कागज में नाम किसी और ठेकेदार का रहता है, जबकि वास्तव में काम दूसरे ठेकेदार करते हैं. झारखंड में परंपरा काफी बढ़ गयी है.

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