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रांची : टीटीपीएस की एक यूनिट 55 दिन से बंद, 45 करोड़ का हो चुका हैं नुकसान, सीसीएल का 212 करोड़ बकाया

कोयले की आपूर्ति कर दी कम रांची : कोयले के अभाव में तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) की एक यूनिट 15 अप्रैल से बंद है. केवल एक ही यूनिट से उत्पादन हो रहा है. इस वजह से जहां झारखंड में 160 से 170 मेगावाट कम बिजली का उत्पादन हो रहा है, वहीं तेनुघाट प्रबंधन को […]

कोयले की आपूर्ति कर दी कम

रांची : कोयले के अभाव में तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) की एक यूनिट 15 अप्रैल से बंद है. केवल एक ही यूनिट से उत्पादन हो रहा है. इस वजह से जहां झारखंड में 160 से 170 मेगावाट कम बिजली का उत्पादन हो रहा है, वहीं तेनुघाट प्रबंधन को भी अब तक 45 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

क्या है मामला : टीवीएनएल में प्रतिदिन साढ़े सात हजार मिलियन टन कोयले की जरूरत पड़ती है. पर अप्रैल से सीसीएल द्वारा केवल दो हजार से ढाई हजार मिलियन टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है.

टीवीएनएल के प्रभारी एमडी सनातन सिंह ने बताया कि कोयला कम है जिसके कारण एक ही यूनिट को चलाना पड़ रहा है. सीसीएल बकाये का हवाला देकर कम कोयले की आपूर्ति कर रही है.

टीवीएनएल की क्षमता 420 मेगावाट : टीवीएनएल की ललपनिया स्थित टीटीपीएस में दो यूनिट है. जिसकी क्षमता 420 मेगावाट है. दोनों यूनिट से 360 मेगावाट के करीब उत्पादन होता है. पर यूनिट नंबर एक 15 अप्रैल से बंद है.

जिसके कारण एक यूनिट चल रही है. जिससे 160 से 170 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. टीवीएनएल झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को बिजली बेचता है. हर महीने लगभग 70 से 80 करोड़ रुपये की बिजली निगम को देता है. पर निगम महीने में केवल 45 करोड़ रुपये ही देता है, जबकि टीवीएनएल महीने में 50 करोड़ का कोयला ही खरीदता है. स्थापना व्यय आदि मिलाकर टीवीएनएल के महीने का खर्च 60 करोड़ के करीब है.

बिजली वितरण निगम द्वारा केवल 45 करोड़ रुपये ही दिये जाने की वजह से टीवीएनएल सीसीएल को पूरी राशि का भुगतान नहीं कर पाता. जिसके कारण बकाया बढ़ता जा रहा है. सीसीएल का बकाया बढ़कर 212 करोड़ रुपये हो गया है. जिसके कारण सीसीएल ने कोयले की आपूर्ति कम कर दी है.

झारखंड में 160 से 170 मेगावाट कम बिजली का उत्पादन हो रहा

हर दिन दो रैक कोयला

सीसीएल प्रबंधन के कहना है कि 212 करोड़ रुपये बकाया होने के बावजूद नियमित कोयला दिया जा रहा है. टीवीएनएल को हर दिन दो रैक कोयला दिया जा रहा है. राज्य की बिजली उत्पादन इकाई होने के कारण कंपनी हरसंभव सहयोग कर रही है.

क्या कहते हैं एमडी

बिजली वितरण निगम से बिजली खरीदने के एवज में पूरी राशि नहीं मिल पाती, जिसके चलते सीसीएल का बकाया बढ़ता जा रहा है. सीसीएल कोयला कम दे रहा है, जिसके कारण एक यूनिट बंद करनी पड़ी है. सीसीएल को पुनर्विचार के लिए कहा गया है. बिजली वितरण निगम के एमडी ने भी सीसीएल से बात की है. उम्मीद है कि सीसीएल कोयले की आपूर्ति बढ़ा देगा. तब दोनों यूनिट चलेगी. सनातन सिंह, एमडी, टीवीएनएल

1750 मेगावाट बिजली खरीदता है झारखंड

अभी झारखंड सरकार का सिर्फ एक पावर प्लांट है, जो टीवीएनएल का टीटीपीएस है. यहां दोनों यूनिट चलने पर 360 मेगावाट के करीब उत्पादन होता है. झारखंड सरकार के सिकिदिरी हाइडल की क्षमता 130 मेगावाट की है.

पर गरमी के मौसम में इससे उत्पादन बंद रहता है. यानी झारखंड का अपना उत्पादन केवल टीटीपीएस से ही हो रहा है. झारखंड में प्रतिदिन 2100 से 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती है. जेबीवीएनएल को 1750 मेगावाट बिजली डीवीसी, सेंट्रल पूल, आधुनिक पावर व इनलैंड पावर से खरीद कर आपूर्ति करनी पड़ती है. सबसे अधिक बिजली डीवीसी से 750 मेगावाट के करीबी खरीदी जाती है, जिससे डीवीसी कमांड एरिया में आपूर्ति होती है.

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